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चार साल बाद अपनों से मिलेगा सुब्रमण्यम

30 मई 2014 को महफूज ने आगरा के राजामंडी स्टेशन से तस्करों से कराया था मुक्त।

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आगरा

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Dhirendra yadav

May 21, 2018

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आगरा। महफूज संस्था द्वारा चार साल पूर्व आगरा के राजामंडी स्टेशन से तस्करों से मुक्त कराए किशोर के परिवार का पता चल गया है। शीघ्र ही उसे परिवार के सुपुर्द कर दिया जाएगा। उसकी मां कर्नाटक से चल दी है।

ये है मामला
30 मई 2014 को रात्रि करीब नौ बजे राजा मंडी स्टेशन पर दो युवक एक 13 वर्षीय बालक को लेकर ट्रेन से उतरे थे। वह बैंच पर लेट गए और बालक से पैर दबवाने लगे। बार बार बालक को यह युवक धमका भी रहे थे। उसके साथ मारपीट भी कर रहे थे। बालक डरा हुआ था। वह किसी ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। सूचना पाकर जैसे ही चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट एवं महफूज पश्चिम उप्र के समन्वयक नरेश पारस स्टेशन पर पहुंचे, तो वह दोनों युवक बालक को छोड़कर भाग गए। नरेश पारस ने बालक से बातचीत की, तो बालक बहुत डरा हुआ था। कुछ भी बताने से कतरा रहा था। उसकी भाषा भी भिन्न थी। बालक ने नरेश पारस को बताया कि दो युवक उसे मुंबई से काम दिलाने के बहाने लाए थे। उन्होंने खाना पीना भी नहीं दिया। उसे मारा पीटा गया था। वह उसे कहीं और ले जा रहे थे, लेकिन आपके आने पर वह दोनों युवक उसे छोड़कर भाग गए। बालक ने अपना नाम अफरीद पिता का नाम रूद्रेश तथा पता फुटपाथ मुंबई बताया। हिन्दी न जान पाने के कारण वह अधिक कुछ नहीं बता पा रहा था। नरेश पारस ने पूरा विवरण बाल कल्याण समिति तथा एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट को बताया। यह मामला मानव तस्करी से जुड़ा हुआ था। बाल कल्याण समिति आगरा द्वारा किशोर को फिरोजाबाद बाल गृह भेज दिया। बच्चे की ठीक तरह से काउंसलिंग न होने के कारण किशोर बाल गृह में ही निरूद्ध था।

इस तरह मिला परिवार
एंपावर संस्था द्वारा मानव तस्करी के विरोध में आसाम से लेकर दिल्ली तक यात्रा निकाली जा रही है। यह दिनांक 16 मई 2018 को फिरोजाबाद पहुंची। संस्था प्रमुख शफीक उर्ररहमान ने टीम के साथ जब बाल गृह का निरीक्षण किया तो उक्त किशोर पर नजर पड़ी। जब उन्होंने बाल गृह और बाल कल्याण समिति से किशोर के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि यह किशोर अफ्रीका है। इसका घर पता करने में परेशानी आ रही है। शफीक उर्ररहमान ने किशोर की काउंसिलंग की तो वह कांकड़ी भाषा बोल रहा था। उसने बताया कि वह उत्तरी कर्नाटक के येलापुर गांव का रहने वाला है। उसने घर से पैसे चुरा लिए थे और वह मुंबई आ गया था। मुंबई में वह तस्करों के हत्थे चढ़ गया। वह उसे ट्रेन से कहीं ले जा रहे थे। आगरा में उनको ट्रेन बदलनी थी। लोगों के आने से वह उसे छोड़कर भाग गए। किशोर ने अपना नाम सुब्रमन्यम बताया। उसने अपने पिता का नाम भूपेश तथा मां का नाम सुशीला बताया। उसके दो भाई एवं एक बहन है। बहन का नाम सुजाता है। भाई डेनियम है। वह राजेश्वरी स्कूल में पढ़ता था। बड़े भाई की शादी हो चुकी है। भाषा की जानकारी न होने से किशोर के परिवार का पता नहीं चल पाया था। वीडियो कॉलिंग द्वारा उसकी मां से बात कराई। वह मां को देखकर रो रहा था और ले जाने की कह रहा था। उसकी मां उसे लेने के लिए चल दी है।