
guruji
एक आश्रम में एक गुरु और उनके अनेक शिष्य रहते थे। गुरु बहुत वृद्ध हो गए। उनको अपना कोई उत्तराधिकारी निश्चित करना था। उन्होंने सभी शिष्यों को बुलाया औऱ कहा कि मेरे पांच प्रश्नों का उत्तर जो भी देगा, वही मेरी गद्दी का उत्तराधिकारी होगा। उन्होंने क्रमशः कहा- कौन सा फूल अच्छा होता है? कौन सा पत्ता सबसे अच्छा होता है? किसका दूध सबसे मीठा होता है? मीठे में सबसे अच्छा क्या होता है? सबसे अच्छा राजा कौन सा है?
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सभी शिष्यगण शांत हो गए। किसी को भी उत्तर नहीं सूझ रहा था। परन्तु उनमें से एक शिष्य उठकर बोला- गुरुदेव सबसे अच्छा फूल कपास का होता है, क्योंकि उससे शरीर को ढकने को कपड़ा मिलता है। सबसे अच्छा पत्ता पान का होता है, कयोंकि पान लिखाकर दुश्मन को भी मित्र बनाया जा सकता है। सबसे अच्छा दूध मां का होता है, क्योंकि इसी से बच्चे का पोषण होता है। सबसे अच्छी मिठास वाणी की मिठास होती है, क्योंकि मीठा बोलने से किसी को भी अपना बनाया जा सकता है। राजाओं में सबसे अच्छा राजा देवताओं का अधिपति राजा इन्द्र है, जिसके आदेश में दुनिया चल रही है।
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गुरु शिष्य के उत्तरों से संतुष्ट हो गए और उसको आश्रम का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। इस तरह का ज्ञान गुरु से ही मिलता है। ज्ञान भी सच्चा शिष्य बनकर प्राप्त किया जा सकता है। कबीरदास ने ठीक ही कहा है-
गुरु को सिर पर राखिये चलिए आज्ञा माहीं,
कह कबीर ता दास को तीन लोक डर नाहीं।
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प्रस्तुतिः सतीश चन्द्र अग्रवाल
आनंद वृंदावन, संजय प्लेस, आगरा
Published on:
27 Jun 2018 08:24 am
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