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शेर का स्वभाव होता है कि कोई भी काम, छोटा हो या बड़ा, वह अपने बलबूते करता है। कार्य पूरे किए बिना छोड़ता नहीं है। यह एक गुण शेर से सीखना चाहिए। बगुला एकाग्रचित्त होकर पानी में खड़ा धैर्यपूर्वक मछली की राह देखता रहता है। धैर्य और एकाग्रता के दो गुण बगुले से सीखने चाहिए।
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गर्दभ काम करने में सदा तत्पर रहता है। गर्मी-सर्दी को सम्यक भाव से सहता है और सदा मस्त रहता है- ये तीन गुण हमें गर्दभ से सीखने चाहिए। प्रातःकाल ठीक समय पर सूर्योदय से पहले जाग जाना, शत्रु से डटकर मुकाबला करना, मिल बांटकर खाना और कचरे में भी अपना भोक्ष्य खोज लेना, ये चार गुण मुर्गे से सीखने चहिए।
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कौआ एकांत में छिपकर भोग करता है। बहुत धैर्यवान होता है। सदा सतर्क रहता है। किसी का विश्वास नहीं करता और दूर से अपने लक्ष्य को पहचानकर तुरंत झपट पड़ता है- ये पांच गुण कौए से सीखने चाहिए। कुत्ता कितना भी भूखा हो, थोड़ा खाकर संतुष्ट हो जाता है। गहरी नींद सोया हो तो भी जरा सा खटका सुनकर झटपट जाग जाता है। अपने मालिक को बहुत चाहता है। गंध सूंघकर कभी भूलता नहीं। समय पड़ने पर बहादुरी दिखाता है। बिना झोली के फकीर की तरह भिक्षा मांगने यानी रोटी के लिए घर-घर जाता है- ये छह गुण कुत्ते से सीखने चाहिए।
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सीख
जो मनुष्य ये 20 गुण अपने आचरण में धारण कर लेगा, वह सब कार्यों में और सभी अव्यवस्थाओं में सफल और विजेता बनेगा।
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प्रस्तुतिः सतीश चन्द्र अग्रवाल
आनंद वृंदावन, संजय प्लेस, आगरा
Published on:
30 Jun 2018 08:23 am
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