script25 जून 1975 को इमरजेंसी लगते ही पूरा देश बन गया था जेलखाना | Interesting facts about emergency 1975 in India Indira gandhi | Patrika News

25 जून 1975 को इमरजेंसी लगते ही पूरा देश बन गया था जेलखाना

locationआगराPublished: Jun 25, 2019 07:17:47 am

23 मार्च 1977 को इक्यासी वर्ष की उम्र में मोरार जी देसाई भारत के प्रधानमंत्री बने। आजादी के तीस साल बाद बनी पहली गैर कांग्रेसी सरकार को देश का नेतृत्व मिला।

Emergency

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43 वर्ष पूर्व 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन देश में आपातकाल की घोषणा कर दी। पूरा देश इस फैसले से भौंचक रह गया। भारतीय इतिहास में लोकतंत्र का काला दिन था। देश में इमरजेंसी के दौरान मानव अधिकारों का हनन हुआ। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद काल रहा। आपातकाल की मुख्य वजह 12 जून 1975 को इलाहबाद हाईकोर्ट द्वारा इंदिरा गांधी के खिलाफ दिया गया फैसला था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को रायबरेली के चुनाव अभियान में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का दोषी पाया था। उनके चुनाव को खारिज कर दिया था। इतना ही नहीं, इंदिरा पर छह साल तक चुनाव लड़ने पर और किसी भी तरह के पद संभालने पर रोक भी लगा दी गई थी।
Indira gandhi
कुर्सी मोह के कारण लगाया आपातकाल

राज नारायण ने लोकसभा चुनाव में रायबरेली में इंदिरा गांधी के हाथों हारने के बाद यह मामला कोर्ट में दाखिल कराया। हालांकि 24 जून 1975 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश बरकरार रखा। लेकिन इंदिरा को प्रधानमंत्री की कुर्सी से मोह हो गया था। किसी भी कीमत पर वे इसे छोड़ना नहीं चाहती थीं। वहीं जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा के इस्तीफा देने तक देश भर में रोज प्रदर्शन करने का आह्वान किया। देश भर में हड़तालें और प्रदर्शन शुरू हो चुके थे । जय प्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई सहित कुछ नेताओं के नेतृत्व में देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन किये जाने लगे। इंदिरा आसानी से सिंहासन खाली करने के मूड में नहीं थीं और उनके पुत्र संजय गांधी कतई नहीं चाहते थे कि उनकी मां के हाथ से सत्ता जाए। उधर विपक्ष सरकार पर लगातार दबाव बना रहा था। नतीजा ये हुआ कि इंदिरा ने 25 जून, 1975 की रात देश में आपातकाल लागू करने का फैसला लेकर काला अध्याय लिख दिया।
atal bihari vajpayee
देश को जेलखाना बना दिया

इधर जयप्रकाश नारायण की अगुवाई में विपक्ष एकजुट होने लगा। समूचे देश में इंदिरा के खिलाफ आंदोलन छिड़ चुका था। सरकारी मशीनरी विपक्ष के आंदोलन को कुचलने में लग गई थी। अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी आदि नेताओं समेत विपक्ष के तमाम नेता जेल में ठूंस दिए गए। संजय गांधी की मनमानियां भी शुरू हो गई। संजय की शह पर पुरुषों की जबरन नसबंदी करवाई जा रही थी। सरकार ने पूरे देश को एक बड़ा जेलखाना बना दिया। आपातकाल के दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन होने लगा।
sanjay gandhi
मोरारजी देसाई पहली बार गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने

21 महीने के बाद जयप्रकाश का आंदोलन निर्णायक मुकाम तक जा पहुंचा। इंदिरा को सिंहासन छोड़ना पड़ा। मोरारजी देसाई की अगुवाई में जनता पार्टी का गठन हुआ। 21 मार्च 1977 को इमरजेंसी समाप्त हुई। देश में आम चुनाव हुए और इस चुनाव में कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा। खुद इंदिरा गांधी भी रायबरेली से चुनाव हार चुकी थीं और कांग्रेस मात्र 153 सीटों पर सिमट चुकी थी। 23 मार्च 1977 को इक्यासी वर्ष की उम्र में मोरार जी देसाई भारत के प्रधानमंत्री बने। आजादी के तीस साल बाद बनी पहली गैर कांग्रेसी सरकार को देश का नेतृत्व मिला।
प्रस्तुतिः दिनेश अगरिया, कवि एवं लेखक, आगरा

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