
आगरा : उत्तर प्रदेश के आगरा रेलवे स्टेशन पर एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां झारखंड के गिरिडीह जिले के जमुआ प्रखंड के मंदुआडीह गांव के 38 वर्षीय प्रवासी मजदूर सीताराम यादव की संदिग्ध हालत में मौत हो गई। गरीबी की मार ने उनके परिवार को इतना तोड़ दिया कि वे शव को अपने गांव नहीं ला सके। मजबूरी में परिवार ने बांस और भूसे का पुतला बनाया, उसे सीताराम के कपड़ों से सजाया, उनकी तस्वीर लगाई और नदी किनारे सामुदायिक श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार की रस्म निभाई। सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरों में परिवार के सदस्य पुतले का अंतिम संस्कार करते नजर आए।
सीताराम के भतीजे मनोज ने बताया, 'पिछले हफ्ते पुलिस ने हमें फोन करके मौत की सूचना दी और कहा कि शव लेने के लिए एक दिन का समय है, वरना पोस्टमार्टम के बाद उसे स्थानीय स्तर पर अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा। लेकिन हमारे पास इतने पैसे नहीं थे कि हम आगरा पहुंच पाते। दो लोग ट्रेन बदलते वक्त धनबाद में रास्ता भटक गए और वापस लौट आए।' मजबूरी में परिवार ने स्थानीय परंपरा का सहारा लिया और पुतले से अंतिम संस्कार किया। मनोज ने कहा, '12 दिन के शोक के बाद इसकी राख को गंगा में विसर्जित करेंगे।'
सीताराम अपनी पत्नी और तीन बच्चों को पीछे छोड़ गए हैं। परिवार अब सवाल उठा रहा है कि आखिर उनका शव झारखंड क्यों नहीं भेजा गया। पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है, जबकि बच्चे अनजान में पिता की अनुपस्थिति को समझ नहीं पा रहे। गांव के लोग बताते हैं कि सीताराम सालों से आगरा में दिहाड़ी मजदूरी कर परिवार का पेट पाल रहे थे, लेकिन इस दुखद घटना ने उनके घर को उजाड़ दिया।
दूसरी ओर, सरकार रेलवे पुलिस (GRP) का दावा है कि उन्होंने परिवार से किसी को शव की शिनाख्त के लिए बुलाने की कोशिश की और आने-जाने का खर्च भी वहन करने का वादा किया, लेकिन परिवार ने मना कर दिया। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर जितेंद्र कुमार ने बताया, 'अजमेर से आने वाली ट्रेन के जनरल कोच में एक व्यक्ति बेहोश पड़ा था। आरपीएफ ने उसे उतारा, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।' पोस्टमार्टम रिपोर्ट में फेफड़ों की बीमारी को मौत का कारण बताया गया। जितेंद्र कुमार ने कहा, 'उनकी जेब से एक फोन नंबर मिला, लेकिन रिश्तेदार ने व्हाट्सऐप फोटो से इनकार कर दिया। बाद में हाथ पर बनी टैटू से पहचान हुई, और आगरा में ही अंतिम संस्कार कर दिया गया।'
झारखंड के श्रम विभाग के तहत राज्य प्रवासी मजदूर कंट्रोल रूम की प्रमुख शिखा लाकड़ा ने कहा, 'परिवार ने शुरू में सीताराम को पहचानने से इनकार कर दिया था। हम शव लाने की व्यवस्था करने को तैयार थे, लेकिन भतीजे ने कहा कि वह उनका रिश्तेदार नहीं है। बाद में पुलिस ने टैटू के आधार पर पहचान की पुष्टि की।' इस घटना ने प्रवासी मजदूरों की बदहाली और सरकारी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय समाजसेवी अजित कुमार ने कहा, 'यह सिर्फ एक मौत नहीं, सिस्टम की असंवेदनशीलता है। एक मजदूर जो देश के लिए मेहनत करता है, उसकी मौत के बाद उसका शव तक परिवार को नहीं मिला।' परिवार और ग्रामीणों ने सरकार से मृतक की पत्नी को आर्थिक सहायता और बच्चों के भविष्य के लिए मदद की मांग की है। सोशल मीडिया पर भी लोग इस घटना को लेकर आवाज उठा रहे हैं और प्रवासी मजदूरों के लिए बेहतर नीति की मांग कर रहे हैं।
Published on:
13 Aug 2025 08:29 pm
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