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बेहतर नौकरी, असाध्य रोगों से छुटकारा और धन प्राप्ति के लिए हर मंगलवार करें ये काम

तमाम गंभीर समस्याओं से परेशान हैं तो हर मंगलवार को हनुमान जी का व्रत रखें। इससे कष्ट दूर होते हैं।

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आगरा

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suchita mishra

Jul 09, 2019

यदि आप पारिवारिक क्लेश के चलते परेशान हैं, घर में आर्थिक संकट रहते हैं, असाध्य रोगों से घिरे हुए हैं, बेहतर नौकरी चाहते हैं या फिर पुत्र प्राप्ति की कामना रखते हैं तो आपको संकट मोचन हनुमान की शरण में जाना चाहिए। इसके लिए हर मंगलवार को हनुमान बाबा का व्रत रखें व विधिवत पूजन करें। ऐसा करने से न सिर्फ इन समस्याओं से निजात मिलेगी बल्कि शनि व मंगल संबन्धी कष्टों से भी छुटकारा मिलेगा। यदि व्रत नहीं कर सकते हैं तो हर मंगलवार कम से कम हनुमान बाबा का विधिवत पूजन जरूर करें।

ये है पूजन विधि
हनुमान जी के पूजन में बेहद शुद्धता बरतना जरूरी है। इसलिए सबसे पहले स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद हाथ में जल लेकर पवित्रीकरण करें। पवित्रीकरण करते समय ये मंत्र बोलें, ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा। यः स्मरेत्‌ पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥ इसके बाद हाथ के जल को जमीन पर छिड़क दें। इसके बाद मन ही मन हनुमान जी का आवाहन करें। उन्हें बंधन का तिलक लगाएं। चाहे तो चोला भी चढ़ा सकते हैं। पुष्प, धूप, अगरबत्ती, प्रसाद आदि अर्पित करें। फिर हनुमान चालीसा का पाठ करें। आरती करें।

यदि व्रत रखते हों तो...
यदि आपने मंगलवार का व्रत रखा है तो पूजन के समय व्रत कथा भी पढें। उसके बाद आरती करें। व्रत में दिन में फलाहार कर सकते हैं, लेकिन नमक न खाएं। मंगलवार के दिन सिर्फ मीठा खाने का नियम है। शाम को व्रत खोलते समय भी मीठा ही खाएं। ऐसे में परांठा दही, या मीठा परांठा आदि खाया जा सकता है।

ये है व्रत कथा
एक निःसन्तान ब्राह्मण दम्पत्ति काफ़ी दुःखी थे। ब्राह्मण वन में पूजा करने गया और हनुमान जी से पुत्र की कामना करने लगा। घर पर उसकी स्त्री भी पुत्र की प्राप्त के लिये मंगलवार का व्रत करती थी।मंगलवार के दिन व्रत के अंत में हनुमान जी को भोग लगाकर भोजन करती थी। एक बार व्रत के दिन ब्राह्मणी ना भोजन बना पायी और ना भोग ही लगा सकी। तब उसने प्रण किया कि अगले मंगल को ही भोग लगाकर अन्न ग्रहण करेगी। भूखे प्यासे छः दिन के बद मंगलवार के दिन तक वह बेहिओश हो गयी। हनुमान जी उसकी निष्ठा और लगन को देखकर प्रसन्न हो गये। उसे दर्शन देकर कहा कि वे उससे प्रसन्न हैं और उसे बालक देंगे, जो कि उसकी सेवा किया करेगा। इसके बाद हनुमान जी उसे बालक देकर अंतर्धान हो गये। ब्राह्मणी इससे अति प्रसन्न हो गयी और उस बालक का नाम मंगल रखा। कुछ समय उपरांत जब ब्राह्मण घर आया, तो बालक को देख पूछा कि वह कौन है। पत्नी ने सारी कथा बतायी। पत्नी की बातों को छल पूर्ण जान ब्राह्मण ने सोचा कि उसकी पत्नी व्यभिचारिणी है। एक दिन मौका देख ब्राह्मण ने बालम को कुंए में गिरा दिया और घर पर पत्नी के पूछने पर ब्राह्मण घबराया। पीछे से मंगल मुस्कुरा कर आ गया। ब्राह्मण आश्चर्यचकित रह गया। रात को हनुमानजी ने उसे सपने में सब कथा बतायी, तो ब्राह्मण अति हर्षित हुआ। फ़िर वह दम्पति मंगल का व्रत रखकर आनंद का जीवन व्यतीत करने लगे।