scriptPerson Of The Week पूरन डावर ने घरेलू जूता उद्योग को बुलंदी पर ले जाने के लिए Meet at Agra को हथियार बनाया | Person of the Week Inspirational story of Puran dawar Agra | Patrika News

Person Of The Week पूरन डावर ने घरेलू जूता उद्योग को बुलंदी पर ले जाने के लिए Meet at Agra को हथियार बनाया

locationआगराPublished: Nov 25, 2019 01:11:50 pm

Submitted by:

Bhanu Pratap

-आगरा के घरेलू चमड़ा उद्योग को नई दिशा देने में मील का पत्थर
-‘मिशन भोजन सबके लिए’में 10 रुपये में दिया जा रहा शुद्ध खाना
-80 फीसदी प्रदूषण अन्य कारणों से जिसका इलाज नहीं हो रहा
-सरकारी विभाग फेल, आगरा के विकास के लिए दिया अनोखा सुझाव

Puran dawar

Puran dawar

आगरा। ताजमहल (Tajmahal) के शहर आगरा (Agra) की तरक्की और विकास के लिए कार्य कर रही संस्था आगरा डवलपमेंट फाउंडेशन (ADF) और आगरा फुटवियर मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्पोर्टर्स चैम्बर (एफमैक) के संस्थापक, जूता उद्यमी और समाजसेवी पूरन डावर (Puran Dawar) ने कई मोर्चे एक साथ संभाल रखे हैं। आगरा से भुखमरी दूर करने के लिए प्रतिदिन हजारों लोगों को 10 रुपये में भरपेट भोजन उपलब्ध करा रहे हैं। धीरे-धीरे इसे बिलकुल मुफ्त करने की योजना है।‘मीट एट आगरा’ (Meet At Agra) का आयोजन करके आगरा के घरेलू चमड़ा उद्योग (Leather Industry) को विकसित करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। साथ ही अपनी फैक्ट्री (Shoe Factory) के कर्मचारियों के स्कूल और उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत बच्चों की पूरी फीस देते हैं। वे व्यथित हैं कि प्रशासनिक अधिकारी आगरा के उद्योगों को बर्बाद करने में लगे हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के आदेश के नाम पर सिर्फ उद्योगों को निशाना बनाया जा रहा है। 80 फीसदी प्रदूषण तो अन्य कारणों से है, जिसकी ओर कतई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पत्रिका के विशेष कार्यक्रम परसन ऑफ द वीक (Person of the Week) में हमने बातचीत की पूरन डावर से।
‘मिशन भोजन सबके लिए’

पूरन डावर ने ‘मिशन भोजन सबके लिए’ योजना शुरू की है। 11 स्थानों पर भोजन लेकर 11 वैन जाती है। 10 रुपये में घर जैसा शुद्ध भोजन दिया जाता है। लोगों को भोजन का इसका इंतजार रहता है। भोजन वितरण स्थलों को भी विकसित किया गया है। सेवा भारती संस्था के कार्यकर्ता वितरण व्यवस्था संभालते हैं। किसी के पास 10 रुपये नहीं है तो उसे निःशुल्क दिया जाता है।
Food
‘मीट एट आगरा’

वे 2007 से ‘मीट एट आगरा’का आयोजन आगरा में कर रहे हैं। नवम्बर माह में 13वां संस्करण हुआ। इसमें देश-विदेश की चमड़ा, जूता, जूता बनाने में प्रयुक्त होने वाले कंपोनेंट और मशीन बनाने वाले कंपनियां आती हैं। इस बार 5000 करोड़ रुपये के बिजनेस की नींव मीट एट आगरा में रखी गई। पूरन डावर बताते हैं- आगरा का जो घरेलू जूता उत्पाद हैं, जिन्होंने नए कंपोनेंट देखे नहीं हैं, उन्हें यहां सब देखने को मिलता है। निर्यातक तो पूरे विश्व में घूमते रहते हैं, उनके पास आपूर्तिकर्ता स्वयं आते हैं। घर में जूता बनाने वालों के पास कोई नहीं जाता है। मीट एट आगरा उनके लिए मील का पत्थऱ साबित हो रहा है। यहां से नए उपकरण और नए कंपोनेंट लेकर अपने उत्पाद को आकर्षक बना सकते हैं ताकि गुणवत्ता में सुधार हो और अधिक पैसे मिलें।
Puran dawar
फैक्ट्री श्रमिकों के लिए

पूरन डावर ने श्रमिकों के कल्याण के लिए अपनी फैक्ट्री में कई काम करते हैं। 1998 में उनके पुत्र सक्षम की दुर्घटना में मौत हो गई। इसके बाद सक्षम डावर मेमोरियल ट्रस्ट बनाया। ट्रस्ट के माध्यम से फैक्ट्री कर्मचारियों के एक बच्चे की पूरी फीस, दूसरे बच्चे की आधी फीस देते हैं। तीसरे बच्चे के लिए कुछ नहीं देते हैं। इसके पीछे परिवार नियोजन का उद्देश्य है। फीस स्कूल को सीधे भेजी जाती है। जिनके बच्चे अपनी क्षमता से उच्च शिक्षा में गए हैं, उनकी भी फीस भर रहे हैं। वे कहते हैं कि हर फैक्ट्री ऑनर अपने कर्मचारियों की फीस भर दे तो हमें सरकार पर निर्भर नहीं रहना होगा। यह कोई मुश्किल काम भी नहीं है।
Puran dawar
पीड़ा

पूरन डावर की पीड़ा है कि आगरा का विकास ठीक से नहीं हो रहा है। नगर निगम और आगरा विकास प्राधिकरण समेत सभी संस्थाएं पूरी तरह से फेल हो गई हैं। एक विभाग सड़क बनाता है तो दूसरा खोद देता है। पूरे साल धूल उड़ती रहती है। कोई रोकने वाला नहीं है। जरूरत इस बात की है कि सभी विभागों को मिलाकर एक विभाग बने, उसका एक सीईओ बनाया जाए। वही जिम्मेदार हो। अभी तो सब विभाग मनमानी कर रहे हैं। सरकारी नौकरी में आकर व्यक्ति सोचता है कि उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं है। इस कारण दुरावस्था है।
Puran dawar
आगरा की क्षमता

पूरन डावर कहते हैं कि आगरा की क्षमता को पहचाने की जरूरत है। ऐसा कोई दूसरा शहर नहीं है, जिसमें तीन-तीन विश्वदाय स्मारक हों। आगरा से 50 किलोमीटर दूरी पर मथुरा, गोवर्धन और वृंदावन है। आगरा पूरे भारत वर्ष की अर्थव्यवस्था का स्रोत हो सकता है। इस पर ध्यान सरकार का नहीं है। पर्यावरण के नाम पर आगरा का विकास रोका गया, जो गलत है। सिर्फ उद्योगों को टारगेट किया जाता है, जो पांच से सात प्रतिशत प्रदूषण फैलाते है। 15-20 फीसदी वाहन प्रदूषण है। बाकी 80 फीसदी प्रदूषण तो अन्य कारणों से है। सीवर लाइन नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने 1996 में प्रदूषण दूर करने का आदेश दिया था। तब से सिर्फ उद्योग ही बंद किए गए हैं। स्थिति लगातार खराब हुई है। आगरा में पर्यटन की संभावनाएं बहुत हैं। जो पर्यटन को चाहिए वह सबकुछ है। सिर्फ स्वच्छ वातावरण नहीं है। सरकार आगरा की एयर कनेक्टविटी पर ध्यान दे। आगरा का कलक्ट्रेट और तहसील शहर से बाहर हो ताकि शहर की सड़कों पर दबाव कम हो सके। आगरा कलक्ट्रेट को म्यूजियम में परिवर्तित कर सकते हैं।
मंदी का लाभ

वे कहते हैं कि तेजी और मंदी दोनों ही अर्थव्यवस्था के भाग हैं। अगर तेजी रहती है तो व्यक्ति को लगता है कि सबठीक चल रहा है। मंदी आती है तो नए प्रोडक्ट बनते हैं, नए तरीके निकाले जाते हैं, नई डिजाइन बनते हैं। बहुत कुछ सिखाती है मंदी। जब भी कभी बदलाव के लिए मैराथन प्रयास किया जाएगा तो कई कदम पीछे हटकर मोर्चा संभालना पड़ता है। मंदी से घबराने की जरूरत नहीं है।
Puran dawar
देश सही दिशा में जा रहा

पूरन डावर की सोच है कि देश सही दिशा में जा रहा है। देश को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रूप में प्रेरणादायी नेतृत्व मिला है। भारत का हर तीसरा आदमी बीमार है। यही हाल रहा तो स्वास्थ्य पर जो खर्चा होने वाला है, उसमें हमारी जीडीपी का आधा हिस्सा कम पड़ेगा। स्वच्छता के लिए नई नीतियां बनी हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो