
समाजसेवी नरेश पारस ने राजकीय बाल गृह में बिछड़े बेटे को मां - बाप से मिलाया
12 दिन पहले बिहार से लापता हुए सात साल के मासूम को आगरा के समाजसेवी ने परिवार से मिला दिया। बच्चे के साथ होली मनाने की खुशी परिजनों के चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी। राजकीय बाल गृह में लिखापढ़ी के बाद परिजन बच्चे को लेकर वापस बिहार के लिए निकल गए
लावारिस घूमते हुए मिलने पर बाल गृह में रखा
राजकीय बाल गृह आगरा में पिछले 12 दिनों से बिहार का एक बालक निरुद्ध था। वह कागरोल में लावारिस घूमते हुए मिला था। जिसे पुलिस ने बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया। बाल कल्याण समिति के आदेश पर बालक को राजकीय बाल गृह में आवासित करा दिया गया। काउंसलिंग में बच्चे ने अपना पता गांव का नाम चरका पत्थर तथा राज्य बिहार बताया।
चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट ने ढूंढा पता
समाजसेवी नरेश पारस ने बताया की बच्चा गांव और प्रदेश के नाम के अलावा कुछ भी नहीं बता पा रहा था। वह अपने जिले का नाम भी नहीं जानता था। ऐसे में बच्चे का पता ढूंढना बहुत मुश्किल था। हमने झारखंड की संस्था साथी के कालेश्वर मंडल से संपर्क किया। उनकी मदद से बच्चे के परिवार को ढूंढ निकाला गया और आगरा बुलाया गया।
मां से लिपट कर रोने लगा मासूम
बालक के परिजन जैसे ही बाल गृह में बच्चे के सामने पहुंचे तो बच्चा दौड़ कर मां से लिपटकर रोने लगा। कहने लगा मां मुझे ले चलो। यह देखकर पिता की आंखों से भी आंसू बह निकले। बाल गृह में मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गई। बाल कल्याण समिति ने लिखा पढ़ी करके बच्चे को परिजनों के सुपुर्द कर दिया।
परिजनों ने कहा यह होली का तोहफा
बच्चे को परिवार से मिलाने के दौरान बाल कल्याण समिति के सदस्य निमेष बेताल सिंह, अर्चना उपाध्याय, बालगृह के अधीक्षक ऋषि कुमार सहित कर्मचारी तथा नरेश पारस मौजूद थे। बिछड़ा हुआ बच्चा पाकर मां-बाप बहुत खुश थे। उनका कहना था कि बच्चा उन्हें होली के त्यौहार पर उपहार के रूप में मिला है। यह होली यादगार बन गई। परिजन नरेश पारस को बार-बार धन्यवाद दे रहे थे।
Published on:
05 Mar 2023 07:15 pm
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