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आईपीएस अफसर बदलना चाहता है खाकी की तस्वीर लेकिन, पुलिसवाले मानते ही नहीं

एसएसपी अमित पाठक अपने आठ माह के कार्यकाल में भ्रष्टाचार, अनियमितता और कार्य में लापरहवाही नाप चुके हैं 70 सिपाही और दरोगा

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आगरा

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Abhishek Saxena

May 29, 2018

ips amit pathak

ssp agra amit pathak

आगरा। कप्तान ने शहर में आते ही स्पष्ट कहा था कि भ्रष्टाचार के मामले महकमे में बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। कभी लाल बुलेट से शहर की पुलिसिंग तो कभी पीड़ित के साथ थाने जाकर मौके पर उसकी शिकायत लिखवाना। गलती पाए जाने पर दरोगा, पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर या फिर सस्पेंड कराकर आम जनता के बीच ऐसा संदेश कि पुलिस जनता की सेवा के लिए बनी है। एसएसपी अमित पाठक की कार्यशैली की शहर की जनता मुरीद हो चुकी है। अपने आठ माह के कार्यकाल में एसएसपी ने अब तक 70 लापरवाह पुलिसकर्मियों को दंडित किया है। लेकिन, बावजूद महकमे के लोग सुधरना नहीं चाहते हैं। लेकिन, कप्तान ने जो उदाहरण जिले में बनाया है उसका पूरा शहर कायल हो गया है।

पहली मीटिंग में ही दिखाए थे कड़े तेवर
23 सितबंर 2017 को आगरा में एसएसपी पद पर आए अमित पाठक ने पहली मीटिंग में जो वादे किए थे, उन्हें बखूबी पूरा किया। उन्होंने थाने में भ्रष्टाचार की जीरो टोलरेंस नीति पर जोर दिया। शहर की नब्ज परखने के लिए वे बुलेट से निकले और जनता से पुलिसकर्मियों की कार्यशैली के बारे में पड़ताल की। थानों में पीड़ितों की शिकायत ना लिखे जाने पर कप्तान ने कई थानों के दरोगाओं को दंडित किया। आठ महीने में उन्होंने गलती पाए जाने पर करीब 70 पुलिसकर्मियों को दंडित किया। इससे थानों में भय का माहौल तो बना है, लेकिन पुलिसकर्मी अभी भी सुधरने को तैयार नहीं हैं। शायद यही वजह है कि 70 पुलिसकर्मियों के दंडित होने के बाद भी पुलिस कप्तान के पास अपने मातहतों की शिकायतें पहुंचती रहती हैं।

बेहतर पुलिसिंग के लिए आईपीएस सख्त
बेहतर पुलिसिंग के लिए आईपीएस अमित पाठक ने सख्त निर्देश दिए कि पीड़ितों की सुनवाई थाने में ही हो जानी चाहिए। पुलिसकर्मियों ने अपने कप्तान की इन बातों को सामान्य तौर पर ही लिया। सारे के सारे पुराने ढर्रे में ही मस्त हो गए। कुछ समय पर एसएसपी पुलिसिंग को परखने के लिए खुद ही फील्ड में जाने लगे। कुछ दिन वे लाल बुलेट मोटरसाईकिल पर चले। इस बुलेट का इतना खौफ हो गया कि पुलिसकर्मियों को सपने में भी एसएसपी नजर आने लगे। एसएसपी को जल्द पता लग गया कि शहर की सड़कों पर चलने वाले ओपन बार, चौराहों पर लगने वाला जाम पुलिस की ढील की देन हैं। गोपनीय दौरों में तमाम पुलिसकर्मियों के कारनामे उनकी नजरों में आए। इन सभी को दंडित किया गया। कई बार ऐसा हुआ कि कोई पीड़ित एसएसपी तक पहुंचा तो वे उसे लेकर खुद ही थाने पहुंच गए। मौके पर ही जाकर दोषियों के खिलाफ एक्शन लिया। इसी तरह के एक मामले में शाहगंज थाने के इंस्पेक्टर, एसएसआई और मुंशियों को निलंबित करने में जरा भी देर नहीं लगाई। उन्होंने विवेचनाओं में लापरवाही बरतने वाले भी नपे।

कार्यशैली जनता कर रही पसंद
तीन दिन पहले ही एसएसपी ने बिचपुरी चौकी के तीन सिपाहियों और तीन होमगार्डों को ट्रकों से वसूली करने के मामले में निलंबित किया। इन पुलिसकर्मियों का वीडियो वायरल हुआ था। इसके साथ ही संजय प्लेस के तत्कालीन चौकी इंचार्ज को विवेचना में लापरवाही पर निलंबित कर दिया है। दो अन्य दरोगाओं को इसलिए निलंबित किया गया कि उन्होंने पीड़ित से फोन पर अभद्रता की थी। एसएसपी की ये कार्यशैली पुलिसकर्मियों के लिए खौफ बनी है तो शहर की जनता को बेहद पसंद आ रही है।