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राखी की ये कहानी जानते हैं क्या आप, सबसे पहले किसने और क्यों बांधी राखी?

नारायण ने राजा बलि को छलने के लिए वामन अवतार लिया और तीन पग में सबकुछ ले लिया

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आगरा

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Abhishek Saxena

Aug 26, 2018

rakhi

इस रक्षाबंधन अपनी बहन के लिए करें कुछ अलग, दे ये बेहद ही खास तोहफा

आगरा। रक्षाबंधन का पर्व धूमधाम, हर्ष और उल्लास से मनाया जा रहा है। रक्षाबंधन पर भाई अपनी बहन की रक्षा का संकल्प लेते हैं। लेकिन, रक्षाबंधन पर्व को लेकर बहुत ही प्राचीन कहानी भी है। जो रक्षाबंधन के पर्व को अटूट बनाती है। ज्योतिषाचार्य कपिल चतुर्वेदी ने बताया कि सर्वप्रथम लक्ष्मी जी ने बालि को राखी बांधी थी। दानवेन्द्र राजा बलि अश्वमेध यज्ञ करा रहे थे, नारायण ने राजा बलि को छलने के लिए वामन अवतार लिया और तीन पग में सब कुछ ले लिया। बाद में उसे भगवान ने पाताल लोक का राज्य रहने के लिए दे दिया। बालि ने प्रभु की इच्छा को सहर्ष स्वीकार करते हुए कहा कि मेरी भी एक शर्त होगी। भगवान अपने भक्तों की बात कभी टाल नहीं सकते। उन्होंने शर्त पूछी। बालि ने कहा ऐसे नहीं प्रभु आप छलिया हो पहले मुझे त्रिवाचा वचन दें की जो मांगूंगा वो आप दोगे। नारायण ने कहा-' दूंगा दूंगा दूंगा'

जब त्रिबाचा करा लिया तब बलि बोले कि 'मैं जब सोने जाऊं और जब उठूं तो जिधर भी नजर जाए उधर आपको ही देखूं' नारायण ठगे से रह गए और बोले इसने तो मुझे पहरेदार बना दिया हैं। ये सबकुछ हार के भी जीत गया है, किंतु कर भी क्या सकते थे वचन जो दें चुके थे। इस प्रकार काफी समय बीत गया। उधर बैकुंठ में नारायण के न आने से लक्ष्मी जी को चिंता होने लगी। तभी वहां नारद जी का आगमन हुआ। लक्ष्मी जी ने कहा नारद जी आप तो तीनों लोकों में घूमते हैं क्या नारायण को कहीं देखा आपने?
नारद जी बोले की पाताल लोक में हैं राजा बलि की पहरेदार बने हुये हैं। सारा सत्य जानकर लक्ष्मी जी ने नारद जी से कहा मुझे आप ही राह दिखाएं।

नारदजी ने किया लक्ष्मीजी का मार्गदर्शन
नारद ने लक्ष्मी जी का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि कहा आप राजा बलि को अपना भाई बना लो और रक्षा-वचन बांधों और दक्षिणा में प्रभु को मांग लो, किंतु पहले तिर्बाचा करा लेना कि दक्षिणा में जो मांगूगी वो देंगे।
लक्ष्मी जी सुन्दर स्त्री के भेष में रोते-रोते बालि के पास पहुंची। बलि ने कहा-'देवी क्या कष्ट है,क्यों रो रहीं हैं आप? लक्ष्मी जी बोली की मेरा कोई भाई नहीं हैं इसलिए मैं दुखी हूं। बालि बोले की दुखी न हों आप मेरी धरम की बहन बन जाएं। तब लक्ष्मी ने बालि को कलावा बांधा, तिर्बाचा कराया और बोली मुझे आपका ये पहरेदार चाहिए। धर्मात्मा व विद्व बालि तुरंत समझ गए। लक्ष्मी जी नारायण को लेकर बैकुंठ लौट गईं। उसी समय से यह रक्षाबन्धन प्रारंभ हुआ।

इसीलिए कलावा बांधते समय यह मंत्र बोला जाता हैं
"येन बद्धो राजा बलि दानवेन्द्रो महाबला तेन त्वाम प्रपद्यये रक्षे माचल माचल:" रक्षा बन्धन अर्थात वह बन्धन जो हमें सुरक्षा प्रदान करे, सुरक्षा किस से- हमारे आंतरिक और बाहरी शत्रुओं से रोग ऋण से। परस्पर भाई बहन के प्रति प्रेम और सम्मान की भावना रखे। राखी का मान रखें।