
Ahmedabad News : केवल एक विचार नहीं, पूरा दर्शन है अहिंसा : डॉ. देसाई
अहमदाबाद. पद्मश्री से सम्मानित व इंस्टीट्यूट ऑफ जैनोलॉजी के संस्थापक डॉ. कुमारपाल देसाई ने कहा कि अहिंसा केवल एक विचार नहीं है, एक पूरा दर्शन है। गांधीजी के अहिंसा के सिद्धांत से ही ग्रामोदय, सर्वोदय, धर्मनिरपेक्षता आदि कई सिद्धांत निकल कर आए और अब तक हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं। वे विज्ञान एवं आध्यात्मिक शोध संस्थान की अहमदाबाद इकाई और लगभग 21 संस्थाओं के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित 6 दिवसीय विश्व अहिंसा दिवस वेबिनार श्रृंखला के पांचवें दिन शुक्रवार को बोल रहे थे।
गांधीजी और अहिंसा विषय पर उन्होंने गांधीजी की ओर से अपनाई हुई अहिंसा की गूढ परिभाषा की व्याख्या की। गांधीजी की अहिंसा निष्क्रिय अहिंसा नहीं है पर जीवंत व सक्रिय अहिंसा है जिसके लिए कई गुणों का होना जरूरी है और कठिन प्रशिक्षण की आवश्यकता है। गांधीजी के अनुसार अभय ही अहिंसा है, जो पूर्णतया निर्भय है वही अहिंसा का पालन कर सकता है।
डॉ. देसाई ने कहा कि आप जिसको चाहते हैं उसको प्रेम करना अहिंसा नहीं है, लेकिन जो आपसे द्वेष करते हैं उनसे प्रेम करना ही अहिंसा है। हिंसा से आप एक व्यक्ति की मृत्यु तो कर सकते हैं, लेकिन उसके विचारों का अंत नहीं कर सकते। एक अहिंसक व्यक्ति की हिंसा करने से कई अहिंसक व्यक्ति पैदा होते हैं। जैसे गांधीजी के बाद नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग और दुनियाभर में कई लोगों ने अहिंसा के मार्ग को अपनाया और कई देश स्वतंत्र हुए।
स्वामीनारायण धर्म में अहिंसा
बोचासणवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण सामाजिक और आध्यात्मिक हिन्दू संस्था (बी.ए.पी.एस.) के वरिष्ठ पद पर नियुक्त अक्षर वत्सल स्वामी ने कहा कि स्वामीनारायण भगवान अहिंसा के प्रबल समर्थक थे, उन्होंने पूरे भारत में भ्रमण कर जगहों-जगहों पर अहिंसा का प्रचार-प्रसार किया था। भगवान स्वामीनारायण ने कहा था कि अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है, किसी चींटी को भी हमें मारने का अधिकार नहीं है क्योंकि हम उसे पैदा नहीं कर सकते हैं।
अहिंसा सभी धर्मो का मूल है : डॉ. शाह
पद्मश्री से सम्मानित, राष्ट्रीय जैन डॉॅक्टर फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष व न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर शाह ने कहा कि धर्म यानि जो प्रकृति के नियम है वह धर्म है। प्रकृति के नियमों का पालन, वस्तु का स्वभाव का ध्यान, अहिंसा का पालन करना ही बड़ा धर्म है और सभी धर्म यही बात करते हैं। धर्म का प्रवेश द्वार अहिंसा है। जो आपको दुख देता है उसका भी बुरा मत करो। शाकाहार खाना ही या कुछ प्रकार की जीवदया करना अहिंसा नहीं है अपितु मन का दुर्भाव, वाणी से गलत शब्द बोलना, शारीरिक कर्म से किसी को तकलीफ देना भी हिंसा में आते हैं। जरूरत से ज्यादा चीजें इकट्ठी करना भी हिंसा का स्वरूप है। हिंसा का भाव लाना और हिंसा का अनुमोदन करना भी गलत है। जापान के शिरों धर्म से लेकर सनातन धर्म तक सभी अहिंसा का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि विश्व विनाश की तरफ जा रहा है, उसके लिए अहिंसा का मार्ग अपनाना जरूरी है।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय में अतिरिक्त महा निदेशक धीरज काकडिय़ा ने स्वामीनारायण संप्रदाय के अहिंसा के सिद्धांत और गांधीजी की अहिंसा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अचौर्य और ब्रह्मचर्य आपस में जुड़े हुए हैं। शिक्षा क्षेत्र से जुड़े महेंद्रकुमार भण्डारी ने कहा कि अहिंसा एवं विधिशस्त्र दोनों का उद्देश्य न्यायपूर्ण शोषण रहित एवं स्वतंत्रता मुक्त शासन की स्थापना है।
Published on:
02 Oct 2020 11:07 pm
बड़ी खबरें
View Allअहमदाबाद
गुजरात
ट्रेंडिंग
