
Govt spine institute
कई लोगों को जीवन में कभी न कभी रीढ़ की हड्डी से जुड़े दर्द का सामना करना पड़ा होगा। यह ऐसा रोग है जिसका मानसिक स्वास्थ्य के साथ गहरा संबंध है। स्पाइन से जुड़े दर्द का सामना कर रहे लोगों में से लगभग 20 फीसदी तनाव वाले हैं, जिसे चिकित्सकीय भाषा में साइकोसोमेटिक पेन भी कहा जाता है। यदि तनाव से मुक्ति मिले तो वे न सिर्फ कमरदर्द बल्कि अन्य कई समस्याओं से भी मुक्त हो सकते हैं। तनाव के कारण स्नायुओं में तनाव आता है जो कमर दर्द के बड़े कारणों में से एक है।
अहमदाबाद सिविल मेडिसिटी कैंपस स्थित सरकारी स्पाइन इंस्टीट्यूट के चिकित्सकों के अनुसार दो दशक पूर्व रीढ़ की हड्डी या कमर दर्द के अधिकांश मरीजों की आयु 50 वर्ष या उससे अधिक थी, लेकिन आज के जमाने में उसी तरह के दर्द वाले अनेक मरीज 30 से 40 की आयु में भी आते हैं। इन मरीजों में ऐसा नहीं है कि उन्हें चोट या किसी दुर्घटना की वजह से यह दर्द मिला है बल्कि आरामदेह जीवनशैली की वजह से भी बहुत लोग इस दर्द के साथ जी रहे हैं। औसत आयु भी बढ़ना एक कारण है। आयु बढ़ने के साथ-साथ स्नायुओं की तकलीफ भी बढ़ी है।
स्पाइन इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ पियूष मित्तल ने बताया कि इंस्टीट्यूट में प्रतिदिन लगभग सौ मरीज आते हैं। इनमें कम आयु से लेकर 80 वर्ष या उससे बड़ी आयु के भी मरीज होते हैं। 60 वर्ष से अधिक आयु में कमर दर्द वाले मरीजों में से 30 फीसदी मरीजों को ऑपरेशन की जरूरत हो सकती है। जबकि युवा अवस्था में 10 से 15 फीसदी को ऑपरेशन की जरूरत होती है। शेष मरीज कसरत फीजियोथेरेपी से ठीक हो सकते हैं।
डॉ. मित्तल के अनुसार कमर दर्द के प्रमुख कारणों में लगातार मोबाइल या कंप्यूटर देखना, कुर्सी पर बैठे रहना, फास्ट फूड, अधिक वजन, कंधे पर लगातार बैग लदे रहना भी शामिल है। इसके अलावा दुर्घटना होना भी इसका कारण है। कुछ सावधानी बरती जाए तो इस तरह की परेशानियों से बचा जा सकता है।
पिछले तीन माह में इंस्टीट्यूट में कुल 2669 मरीज आए हैं। जुलाई माह में 962, अगस्त में 817 तथा सितम्बर में 890 दर्ज किए गए। इनमें से 2388 मरीज सिर्फ रीढ़ की हड्डी से जुड़े मरीज हैं।
Published on:
16 Oct 2024 10:34 pm
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