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Ahmedabad: गाइनेक कैंसर के उपचार की नई तकनीक विकसित

सर्जिकल-पैथोलॉजिकल परिणामों का विश्लेषण करने वाला यह भारत का पहला अध्ययन होने का दावा

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Ahmedabad: गाइनेक कैंसर के उपचार की नई तकनीक विकसित

Ahmedabad: गाइनेक कैंसर के उपचार की नई तकनीक विकसित

Ahmedabad. प्राणघातक माने जाने वाले गाइनेक कैंसर और बॉवेल (आंत) एंडोमेट्रियोसिस Gynec Cancer and Bowel Endometriosisके उपचार के लिए अहमदाबाद के डॉक्टर ने नई तकनीकों को विकसित किया है। इसमें सर्वाइकल और एंडोमेट्रियल (गर्भाशय) कैंसर सर्जरी, बॉवेल एंडोमेट्रियोसिस संबंधित सर्जरी शामिल है। इनसे कई सर्जरी की गई हैं जिसमें श्रेष्ठ परिणाम मिलने का दावा किया है। एंडोमेट्रियल कार्सिनोमा में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद सर्जिकल-पैथोलॉजिकल परिणामों का विश्लेषण करने वाला यह भारत का पहला अध्ययन होने का दावा किया है।

अहमदाबाद के चिकित्सक डॉ. दीपक लिंबाचिया Dr. Deepak Limbachiya, Physician in Ahmedabad एवं उनकी टीम ने यह नई सर्जिकल तकनीक विकसित की है। स्त्रीरोग संबंधी मलिग्नन्सी के लिए लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में ट्यूमर के रिसाव को रोकने के लिए एंडो-स्टेपलर्स के साथ कोल्पोटॉमी से पहले योनि बंद करने की तकनीक है, जिसे तर्क के साथ पब मेड इंडेक्स जर्नल ऑफ़ द सोसाइटी ऑफ़ लेप्रोस्कोपिक एंड रोबोटिक सर्जन में प्रकाशित किया गया है। एंडोमेट्रियोसिस पेपर एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी बीमारी है जहां गर्भाशय के अस्तर के समान टिशू गर्भाशय के बाहर बढ़ता है, जो दर्द के साथ बांझपन जैसी समस्याओं को भी न्योता देता है। विश्व में यह समस्या 10 फीसदी (19 करोड़) महिलाओं और लड़कियों को होती है।

क्या है एंडोमेट्रियोसिस

जब मासिक धर्म रक्त जिसमें एंडोमेट्रियल कोशिकाएं फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से और पैल्विक गुहा में वापस बहती हैं, उस समय रक्त, गर्भाशय ग्रीवा और योनि के माध्यम से शरीर से बाहर बहता है। इसे आम भाषा में प्रतिगामी माहावारी (एंडोमेट्रियोसिस) भी कहा जाता है। ऐसी कोशिकाएं गर्भाशय के बाहर जमा हो सकती हैं जहां वे प्रत्यारोपित और विकसित होती रहती हैं। बॉवेल एंडोमेट्रियोसिस की समस्या में सर्जरी के दौरान आमतौर पर आंत के एक हिस्से को पेट से बाहर निकाला जाता है और फिर पेट में डाला जाता है। डॉ. लिंबाचिया और उनकी टीम ने इस प्रक्रिया का एक संपूर्ण लैप्रोस्कोपिक उपचार विकसित किया है। जिसमें सर्जरी के दौरान पेट से आंत के हिस्से को बाहर निकालने की आवश्यकता नहीं होती।

क्या कहते हैं आंकड़े आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में 6,04,127 महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर हुआ और वैश्विक स्तर पर इस बीमारी से 341831 महिलाओं की मौत हुई थी। भारत में वर्ष 2020 सर्विक्स कार्सिनोमा के 123907 मामले दर्ज किए गए थे। वर्ष 2019 में भारत में सर्वाइकल कैंसर की वजह से 45300 महिलाओं की मौत हुई थी।