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एक कुएं पर निर्भर है रोहिणी गांव की जलापूर्ति

आणंद जिले में पानी की किल्लत, स्कूल जाने से पहले बेटियों को भी उचेलना पड़ता है कुआं

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Water shortage in Anand district

एक कुएं पर निर्भर है रोहिणी गांव की जलापूर्ति

आणंद. गर्मी में पानी की समस्या हल होने के नाम नहीं ले रही हैं। कहीं प्रदूषित जलापूर्ति की शिकायतें हैं तो कहीं नलकूप व हैंडपंपों में पानी ही नहीं है। कुछ स्थलों पर पीने के पानी के स्त्रोत कम होने से एक ही स्थल पर लोगों की भीड़ लग जाती है। कुछ इसी प्रकार की स्थिति रोहिणी गांव में हैं, जहां पूरे गांव की जलापूर्ति सिर्फ एक कुएं पर टिकी हुई है।
आणंद जिले की खंभात तहसील में शामिल इस गांव की आबादी करीब ४ हजार है, लेकिन जलापूर्ति का साधन एक मात्र कुआं है, जिससे पानी खींचना पड़ता है। हालात यह हैं कि सिर्फ महिलाएं ही नहीं, अपितु बालिकाओं को भी स्कूल जाने से पहले पानी की व्यवस्था करनी पड़ती हैं, क्योंकि यहां पीने से लेकर घरेलू उपयोग व पशुओं के लिए पानी खींचना पड़ता है। ऐसे में उनकी छुट्टियां भी पानी भरने में ही निकल जाती हैं।
यह पूरा क्षेत्र खंभात की खाड़ी में आने के कारण यहां पर ज्यादातर क्षेत्रों में खारा पानी निकलता है। पीने के पानी के परिएज व कनेवाल जलापूर्ति समूह योजना पर आश्रित रहना पड़ता है, लेकिन योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है। ऐसे में कुआं ही सहारा बना हुआ है। यहीं कपड़े धोते हैं और यहीं से पानी ले जाते हैं। पानी की पूर्ति करने में रोजाना करीब ३-४ घंटे का समय चला जाता है।
नल हैं, लेकिन पानी नहीं :
ग्रामीणों का आरोप है कि परिएज समूह जलापूर्ति योजना के तहत घर-घर नल तो लगाए गए हैं, लेकिन उनमें वर्षों से पानी नहीं आता है।ऐसे में कुआं व तालाब ही पानी का स्त्रोत हैं। गांव का तालाब सूख गया है। स्थानीय विंरजना के अनुसार चुनाव के दौरान वोट मांगने के लिए नेता आते हैं और समस्या हल करने का वायदा करते हैं, लेकिन बाद में कोई नहीं पूछता। आरती डाभी के अनुसार अधिकतर समय पानी भरने में ही चला जाता है।
शिकायत के बावजूद समस्या हल नहीं हुई :
सरपंच कांतिभाई एवं उप सरपंच मफाभाई के अनुसार वर्षों से गर्मी के मौसम में पानी की समस्या होती है। ग्रामीणों को पर्याप्त प्रेशर से पानी उपलब्ध कराने के लिए परिएज योजना के अधिकारियों से मांग भी की गई, लेकिन कोई हल नहीं निकला। नेता सिर्फ वोट मांगने के लिए ही गांव में आते हैं और वायदा कर जाते हैं, लेकिन चुनाव पूरा होने के बाद भी समस्या का अंत नहीं आता। उच्चाधिकारियों के समक्ष भी शिकायत की, लेकिन कोई हल नहीं निकला।