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व्रत के पालन के प्रति रहे जागरूकता : आचार्य महाश्रमण

पर्युषण पर्व के 5वें दिन मनाया व्रत चेतना दिवस गांधीनगर. कोबा िस्थत प्रेक्षा विश्व भारती में चातुर्मास के तहत पर्युषण पर्व के 5वें दिन व्रत चेतना दिवस मनाया गया।जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान आचार्य महाश्रमण ने कहा कि व्रत के पालन में जागरूकता और उचित दृढ़ता रहे। आदमी कोई भी व्रत ले तो सोच-समझ […]

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पर्युषण पर्व के 5वें दिन मनाया व्रत चेतना दिवस

गांधीनगर. कोबा िस्थत प्रेक्षा विश्व भारती में चातुर्मास के तहत पर्युषण पर्व के 5वें दिन व्रत चेतना दिवस मनाया गया।
जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान आचार्य महाश्रमण ने कहा कि व्रत के पालन में जागरूकता और उचित दृढ़ता रहे। आदमी कोई भी व्रत ले तो सोच-समझ कर ले और उसके पालन के प्रति जागरूक रहने का प्रयास करना चाहिए।
इस अवसर पर आचार्य ने पर्युषण पर्व के तहत भगवान महावीर की अध्यात्म यात्रा के वर्णन प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि अठारहवें भव में पुनः पोतनपुर नामक राज्य के राजपरिवार में जन्मे, जहां उनका नाम त्रिपृष्ठ हुआ। उनके पिता प्रजापति ने कर्त्तव्य का निर्वहन करते हुए अपने दोनों राजकुमारों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेज देते हैं। शिक्षा ग्रहण करने के बाद त्रिपृष्ठ आदि वापस अपने राज्य में लौट आते हैं। उस समय के प्रति वासुदेव अश्वग्रिव को अपने भविष्य को जानने की इच्छा होती है। उसे ज्योतिष ने बताया जो आपके दूत चण्डवेग का अपमान करेगा और जो शेर का वध करेगा, वह आपका हंता होगा। एक बार अश्वग्रिव का दूत चण्डवेग कई राज्यों की यात्रा करता हुआ पोतनपुर पहुंचता है, जहां त्रिपृष्ठ ने उसका अपमान कर दिया। वहां से आने के बाद अश्वग्रिव को जानकारी देने के साथ त्रिपृष्ठ की ओर से किए गए अपमान की बात भी बताता है तो उसे अपने हंता एक लक्षण प्राप्त हो जाता है। इसी बीच उसके क्षेत्र में शेर की समस्या से किसान परेशान होते हैं।