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बुलेट ट्रेन परियोजना : वलसाड जिले में औरंगा नदी पर पुल का निर्माण पूरा

मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर पर अब तक 5वां नदी पुल

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बुलेट ट्रेन परियोजना : वलसाड जिले में औरंगा नदी पर पुल का निर्माण पूरा

वलसाड जिले में औरंगा नदी पर पुल का निर्माण पूरा।

अहमदाबाद. नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) की ओर से बुलेट ट्रेन परियोजना के तहत मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर (एमएएचएसआर) कॉरिडोर के लिए वलसाड जिले में औरंगा नदी पर पुल का निर्माण पूरा किया गया है। । यह एमएएचएसआर कॉरिडोर पर अब तक पूरा हुआ पांचवां नदी पुल है।औरंगा नदी पुल की लंबाई 320 मीटर है। यह पुल 8 फुल स्पैन बॉक्स गर्डर्स (40 मीटर प्रत्येक) से बनाया गया है। पियर्स की ऊंचाई 20 मीटर से 26 मीटर है। इसमें 5 मीटर व्यास के 7 गोलाकार पिलर व 5.5 मीटर व्यास के 2 गोलाकार पिलर बनाए गए हैं। यह पुल वापी और बिलिमोरा एचएसआर स्टेशन के बीच में है।

इससे पहले पार, पूर्णा, मिंधोला और अंबिका नदी पर पुल का निर्माण पूरा किया जा चुका था। गुजरात और महाराष्ट्र में एमएएचएसआर कॉरिडोर पर कुल 24 नदी पुल हैं, जिनमें से 20 पुल गुजरात में और 4 पुल महाराष्ट्र में हैं। गुजरात में 1.2 कि.मी. का सबसे लंबा नदी पुल नर्मदा नदी पर बनाया जा रहा है। इसी प्रकार महाराष्ट्र में 2.28 कि.मी. का सबसे लंबा पुल वैतरणा नदी पर बनाया जाएगा।

100 फीसदी सिविल अनुबंध पूरे

एनएचएसआरसीएल की ओर से महाराष्ट्र में एमएएचएसआर-सी 3 के लिए अंतिम सिविल अनुबंध प्रदान किया गया है। इसमें 135 कि.मी. (महाराष्ट्र-गुजरात सीमा पर शिलफाटा और ज़ारोली गांव के बीच) एमएएचएसआर संरेखण में 7 सुरंगें और महाराष्ट्र राज्य में वैतरणा नदी पर 2 कि.मी. का सबसे लंबा पुल शामिल है। इसके साथ महाराष्ट्र राज्य के तीनों सिविल निर्माण अनुबंधों में मुंबई (बीकेसी) एचएसआर स्टेशन (सी 1), 21 कि.मी. सुरंग सहित 7 कि.मी. समुद्र के नीचे सुरंग (सी 2) और 135 कि.मी. संरेखण (सी 3) के अनुबंध दिए जा चुके हैं। इनके साथ ही कॉरिडोर पर 100 फीसदी सिविल अनुबंध पूरे हो चुके हैं। एमएएचएसआर-सी 3 पैकेज में वायाडक्ट और पुल की लंबाई 124 कि..मी, पुल और क्रॉसिंग 36 (12 स्टील पुलों सहित) हैं। ठाणे, विरार और बोईसर (सभी एलिवेटेड) स्टेशन, 6 पर्वतीय सुरंगें हैं। उल्हास नदी, वैतरणा और जगनी नदी पर पुल होंगे।

508 किमी लंबा कॉरिडोर

यह कुल 508 कि.मी. लंबे एमएएचएसआर कॉरिडोर के सभी 11 सिविल पैकेजों के अनुबंधित होने का भी प्रतीक है, जिसमें 465 कि.मी. लम्बा वायाडक्ट, 12 एचएसआर स्टेशन, 3 रोलिंग स्टॉक डिपो, 10 कि.मी. वायाडक्ट वाले 28 स्टील पुल, 24 नदी पुल, 7 कि.मी. लंबी भारत की पहली समुद्र के नीचे सुरंग सहित 9 सुरंगें शामिल हैं।

कुल 28 अनुबंध पैकेज

एमएएचएसआर कॉरिडोर को 28 अनुबंध पैकेजों में विभाजित किया गया है, जिनमें से 11 सिविल पैकेज हैं, जिन्हें 33 महीनों की अवधि में अनुबंधित किया गया। गुजरात राज्य में 4 एचएसआर स्टेशनों (वापी, बिलिमोरा, सूरत और भरूच) और सूरत रोलिंग स्टॉक डिपो सहित 237 कि.मी. वायाडक्ट के निर्माण के लिए पहला सिविल अनुबंध 28 अक्टूबर 2020 को दिया गया था, जो कि भारत का सबसे बड़ा सिविल अनुबंध भी था। महाराष्ट्र राज्य में 3 एचएसआर स्टेशनों (ठाणे, विरार और बोइसर) के साथ 135 कि.मी. वायाडक्ट का अंतिम सिविल अनुबंध 19 जुलाई 2023 को दिया गया।

वायाडक्ट के निर्माण में तेजी लाने के लिए भारत में पहली बार 970 टन वजन वाले 40 मीटर लंबाई के फुल स्पैन गर्डरों को एक तरह के फुल स्पैन लॉन्चिंग उपकरण सेट यानी स्ट्रैडल कैरियर, ब्रिज गैन्ट्री, गर्डर ट्रांसपोर्टर और गर्डर लॉन्चर के माध्यम से लॉन्च किया गया है, जो भारत में डिज़ाइन और निर्मित किए गए हैं। यह तकनीक कन्वेंशनल सेगमेंट लॉन्चिंग तकनीक से लगभग 10 गुना तेज है तथा इस तकनीक ने निर्माण उद्योग को एक नया आयाम प्रदान किया है।

1.6 करोड़ घन मीटर सीमेंट और 17 लाख मीट्रिक टन स्टील की खपत होने की उम्मीद

इस मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में 1.6 करोड़ घन मीटर सीमेंट और 17 लाख मीट्रिक टन स्टील की खपत होने की उम्मीद है और यह सीमेंट और स्टील उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा। 508 कि.मी. एमएएचएसआर एलाइनमेंट में से गुजरात में 352 कि.मी. के लिए ट्रैक कार्यों की निविदाएं भी प्रदान की जा चुकी हैं।