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Somnath Mahadev Temple : यहां चंद्र को मिला था पुन: प्रकाश

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Somnath Mahadev Temple : यहां चंद्र को मिला था पुन: प्रकाश

Somnath Mahadev Temple : यहां चंद्र को मिला था पुन: प्रकाश

प्रभासपाटण. भारत के बारह ज्योतिर्लिगों में प्रथम (First Jyotirlinga) एवं करोड़ों भक्तों की आस्था का केन्द्र सोमनाथ महादेव मंदिर (Shree Somnath Mahadev Temple) गुजरात राज्य के गिर सोमनाथ जिले के प्रभासपाटण में स्थित है। इस मंदिर एवं उसकी गाथा सृष्टि की उत्पत्ति जितनी ही पुरानी है। बताया जाता है कि यहां पर ही सोम अर्थात चंद्र को अपना भास (प्रकाश) पुन: प्राप्त हुआ था और वह प्रजापति दक्ष के शाप से मुक्त हुए थे।

सोमनाथ-प्रभास की भूमि कितनी प्राचीन है, यह कालांतर में बदलते नामों से जान सकते हैं। महाभारत काल में भास्कर तीर्थ, अर्कतीर्थ, सोमतीर्थ, आर्नतसार, स्कंद पुराण में सरस्वती तीर्थ, पुराण में शिव पाटण, जैन ग्रंथ में चंद्र प्रभास, चंद्र प्रभास-पाटण, चंद्रप्रभा पाटण, अलग-अलग विक्रम संवतों के शिलालेखों के अनुसार सोमपुर, हरनगर, शिवनगर, विलविलपुर पट्टन, सोमनाथपुर, पुराने गुजराती साहित्य में देव पट्टन, प्राची पाटण, प्राचीन पाटण, फिलहाल सर्वस्वीकृत सरकारी नाम प्रभास-पाटण है।

सात बार बन चुका मंदिर

पौराणिक कथाओ के अनुसार फिलहाल जो सोमनाथ महादेव मंदिर है, वह सातवीं बार बना है। सोमनाथ का पहला मंदिर सोम शर्मा ने बनवाया था। दूसरा मंदिर ई.स. ४७० में मैत्रक वंशीय सेनापति भर्टाक के नेतृत्व में, ई.स. ६४० से ६४९ में तीसरा मंदिर गुर्जर प्रतिहार राजाओं के मित्र सौराष्ट्र के चालुक्य राजाओं ने बनवाया। बताया जाता है कि उस समय मंदिर के छप्पन स्तंभो पर कीमती रत्न जड़े हुए थे और मूर्ति के पास सोने की सांकल पर दो सौ मन का घंटा बंधा था। हमेशा एक हजार ब्राह्मण उस प्रतिमा की सेवा करते थे। ई.स. १०२६ में मोहम्मद गजनी ने मंदिर पर आक्रमण किया और सोने को लूट ले गया था।


चौथा मंदिर चालुक्य राजा भीमदेव ने, पांचवां मंदिर गुजरात के सोलंकी राजाओं ने और छठवां मंदिर जूनागढ़ के चुडास्मा राजा महिपाल ने कराया था। इस प्रकार अनेक महाराजाओं ने हमला किया और मंदिर को लूटा, लेकिन भारत आजाद होने पर तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल ने १३ नवम्बर १९४७ को सोमनाथ समुद्र का जल लेकर प्रतिज्ञा की थी कि इस मंदिर का नवनिर्माण होगा, जिसमें जामनगर के पूर्व महाराजा दिग्विजयसिंह का भी सहयोग मिला और सोमनाथ का सातवीं बार नवनिर्माण हुआ था। इसकी प्राण प्रतिष्ठा भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ.राजेन्द्र प्रसाद के हाथों ११ नवम्बर १९५१ को हुई थी।


फिलहाल मंदिर का सम्पूर्ण संचालन सोमनाथ ट्रस्ट के अधीन है, जिसके ट्रस्ट्रियों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केसुभाई पटेल एवं प्रवीण लहरी शामिल हैं।

सोमनाथ को स्वर्णजडि़त बनाने का कार्य जारी

सोमनाथ के पूरे मंदिर को स्वर्ण जडि़त करने का कार्य जारी है। मंदिर को धार्मिक, आध्यात्मिक एवं सौन्दर्य बनाने के लिए विकासलक्षी कार्य जारी हैं। केन्द्र एवं राज्य सरकार के साथ-साथ दाताओं के सहयोग से मंदिर के अनेक विकास कार्य कराए गए हैं, जिनमें टुरिज्म फेसेलिटी सेंटर हाल ही बनाया गया है।
-प्रवीण लहरी, ट्रस्टी सचिव, श्री सोमनाथ ट्रस्ट।