
Ahmedabad. शहर सहित राज्यभर में इन दिनों नवरात्रि के गरबा, रामलीला, दुर्गा पूजा की धूम है। ज्यादातर शहरों में रातभर बाजार गुलजार रहते हैं। फूड-रेस्टोरेंट में ग्राहकों की भीड़ है। अच्छी बिक्री हो रही है। ऐसे में फूड-रेस्टोरेंट के संचालकों की ओर से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की चोरी भी कीजा रही है। इसके लिए वे अलग -अलग तरीके अपना रहे हैं।
गुजरात स्टेट जीएसटी विभाग ने शनिवार को फूड-रेस्टोरेंटों की ओर से की जा रही जीएसटी चोरी का पर्दाफाश किया है। राज्य के अहमदाबाद, गांधीनगर, वडोदरा, राजकोट, सूरत, भावनगर और जूनागढ़ जैसे सात प्रमुख और बड़े शहरों में एक साथ 16 व्यापारियों के 26 रेस्टोरेंटों पर दबिश दी। व्यापारियों को पता नहीं चले इसलिए ये अधिकारी ग्राहक बनकर पहुंचे थे। ग्राहक के रूप में पहुंचकर की गई प्राथमिक जांच में कर चोरी का पता चला।
प्राथमिक जांच में इन फूड-रेस्टोरेंट संचालकों के 52 करोड़ के गैर-हिसाबी लेनदेन का पता चला। जिससे व्यापारियों की 4.88 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी पकड़ी गई। ऐसे में विभाग ने ब्याज व दंड की राशि वसूल करने की प्रक्रिया शुरू की है।
स्टेट जीएसटी की टीमों ने जांच में पाया कि फूड-रेस्टोरेंट की ओर से जीएसटी को न भरना पड़े और उनका वास्तविक टर्नओवर कम दिखे इसके लिए वे एक से ज्यादा क्यूआर कोड का उपयोग कर रहे थे। यानि पेमेंट डायवर्ट किया जा रहा था। इसके अलावा कच्ची रसीद से लेनदेन हो रहा था। इनवॉइस के बिना बिक्री की जा रही थी। जीएसटी की कंपोजीशन स्कीम का दुरुपयोग करते हुए उसका गलत तरीके से लाभ उठाने को ये कोशिश कर रहे थे कि वास्तविक टर्नओवर 1.50 करोड़ रुपए से ज्यादा न दिखाई दे। इसके लिए ही ये एक से ज्यादा क्यूआर कोड का इस्तेमाल कर रहे थे। जिससे ये उनके यहां होने वाली बिक्री को कम दर्शाते थे,जिससे उन्हें सामान पर होने वाली बिक्री पर देने योग्य कर (जीएसटी) की कम भरपाई करनी पड़े। या कर भरना ही नहीं पड़े। इससे उन्हें तो मुनाफा होता है, लेकिन राज्य सरकार को जीएसटी के रूप में मिलने वाले कर की अदायगी नहीं होती है। जिससे राज्य सरकार को नुकसान होता है।
Published on:
27 Sept 2025 10:19 pm
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