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जीटीयू में शुरू होगा स्कूल ऑफ एप्लाइड साइंस एंड टेक्नोलॉजी

GTU, New education policy, school of applied science and technology, तय समय में कोर्स पूरा न करने वाले विद्यार्थियों को मिलेगा मौका, अकादमिक काउंसिल की बैठक में निर्णय, नई शिक्षा नीति लागू करने की तैयारी

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जीटीयू में शुरू होगा स्कूल ऑफ एप्लाइड साइंस एंड टेक्नोलॉजी

जीटीयू में शुरू होगा स्कूल ऑफ एप्लाइड साइंस एंड टेक्नोलॉजी

अहमदाबाद. गुजरात तकनीकी विश्वविद्यालय (जीटीयू) में नई शिक्षा नीति लागू करने के तहत तैयारी शुरू कर दी गई है। इसके तहत नीति में सुझाए अनुसार जीटीयू में जल्द ही स्कूल ऑफ एप्लाइड साइंस एंड टेक्नोलॉजी को शुरू किया जाएगा। इतना ही नहीं जो विद्यार्थी तय समय मर्यादा में अपना डिग्री, डिप्लोमा या पीजी डिग्री का कोर्स पूरा नहीं कर पाए हैं उन्हें उत्तीर्ण होने के लिए एक और मौका दिया जाएगा। इस बारे में यूजीसी और एआईसीटीई से संपर्क कर उनके सुझाव के अनुसार आगे बढ़ा जाएगा।
यह निर्णय हाल ही में ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड में आयोजित हुई जीटीयू की अकादमिक परिषद की बैठक में किया गया है।
जीटीयू कुलपति प्रो.नवीन शेठ की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कई और महत्वपूर्ण निर्णय किए गए हैं।
नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए उसमें सुझाए गए क्रेडिट ट्रांसफर, क्रेडिट बैंक, मल्टिपल एंट्री, एक्जिट की रूपरेखा तैयार करने के लिए जीटीयू में एक टास्क फोर्स की रचना की जाएगी। इस बाबत ३० दिन में प्रस्ताव पारित कर रिपोर्ट राज्य सरकार, एआईसीटीई और यूजीसी को भेजी जाएगी।

अकादमिक ऑडिट, क्वालिटी सेल अनिवार्य
जीटीयू संबद्ध प्रत्येक पीजी स्कूल और कॉलेज में टीचिंग एवं लर्निंग की गुणवत्ता को सुधारने के लिए इंटरनल अकादमिक ऑडिट सेल और इंटरनल क्वालिटी एश्योरेंस सेल को ३१ दिसंबर तक स्थापित करना अनिवार्य है। वर्ष २०२2 तक प्रत्येक कॉलेज को किसी एक कोर्स के लिए एनबीए एक्रिडिटेशन लेना या संस्छा नेक का एक्रिडिटेशन कराना जरूरी है। २०२५ तक एक से ज्यादा कोर्स के लिए एनबीए एक्रिडिटेशन लेना जरूरी है। इस दिशा में कदम उठाने अनिवार्य है। प्राध्यापकों की संख्या और कर्मचारियों की संख्या नियमानुसार होनी भी जरूरी है।

प्राचार्य, निदेशक नहीं तो कटेंगी सीटें
जीटीयू ने स्थाई प्राचार्य या निदेशक के बिना चल रहे कॉलेजों के प्रति सख्त रवैया अपनाया है, जिसके तहत स्थाई प्राचार्य, निदेशक नहीं होने पर कॉलेज की पहले वर्ष में मंजूर इंटेक की २५ प्रतिशत सीटें काट ली जाएंगीं। दूसरे वर्ष में भी यदि प्राचार्य, निदेशक की स्थाई नियुक्ति नहीं हुई तो ५० फीसदी सीटें काट ली जाएंगीं। यदि लगातार तीसरे वर्ष भी नियुक्ति नहीं होती है तो कॉलेज को नो एडमीशन की लिस्ट मेंं डाल दिया जाएगा।