
Ahmedabad. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ओर से स्थापित गुजरात विद्यापीठ में दो अक्टूबर से एक बार फिर विदेशी छात्र गांधीवादी सत्य व अहिंसा के पाठ पढ़ेंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि एक साल के बाद फिर से गांधीवादी अहिंसा: सिद्धांत एवं अनुप्रयोग अंतरराष्ट्रीय कोर्स शुरू हो रहा है। इस वर्ष इस कोर्स में अब तक के सबसे ज्यादा 26 विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया है। ये 13 अलग-अलग देशों से हैं। वर्ष 2011 से जारी इस कोर्स में अब तक 20 देशों के 92 विद्यार्थी पढ़ाई कर चुके हैं। इसमें 58 छात्राएं, जबकि 34 छात्र शामिल हैं। कोरोना महामारी के चलते वर्ष 2020 में, फिर 2022 में तथा एनईपी 2020 क्रियान्वयन के चलते 2024 में यह कोर्स बंद रहा था।
गुजरात विद्यापीठ के कुलपति डॉ. हर्षद पटेल ने बताया कि वर्ष 2024 में एनईपी-2020 के तहत कोर्स को क्रेडिट में परिवर्तित करने व जरूरी प्रक्रिया करने के चलते बंद रखा था। इस वर्ष 2025 में इसे फिर से शुरू किया है। शैक्षणिक वर्ष 2025-26 में इस कोर्स के लिए गठित विशेषज्ञों की प्रवेश समिति ने 13 देशों के 26 विद्यार्थियों को प्रवेश दिया है। यह संख्या अब तक इस अंतरराष्ट्रीय कोर्स में दिए गए प्रवेश में सबसे ज्यादा है।
डॉ.पटेल ने बताया कि यह कोर्स महात्मा गांधी के सत्य, अहिंसा के सिद्धांत को पूरे विश्व में प्रचारित प्रसारित तो करता ही है इसके साथ ही गांधीवादी विचारधारा आधुनिक समय में भी क्यों प्रासंगिक है उसके पहलू का ज्ञान भी कराता है। यही वजह है कि इस वर्ष सात नए देशों के विद्यार्थियों ने इस कोर्स में प्रवेश के लिए आवेदन किया। इन देशों में ब्रिटेन, कोंगो, श्रीलंका, इथियोपिया, नाइजीरिया, इजराइल और केन्या के छात्र शामिल हैं।
यह चार महीने का आवासीय कोर्स है। जो महात्मा गांधी की जयंती दो अक्टूबर से शुरू होकर 30 जनवरी उनके शहीद दिवस तक चलता है। इसमें गांधी के तत्वज्ञान, सत्य-अहिंसा के सिद्धांत, संघर्ष परिवर्तन, शांति की स्थापना में अहिंसा का प्रयोग और सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तन में उसकी भूमिका जैसे विषयों को पढ़ाया जाता है। गांधी आश्रम सहित उनसे जुड़ी संस्थाओं का दौरा भी कराया जाता है।
Published on:
12 Sept 2025 10:59 pm
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