
Ahmedabad. गुजरात विद्यापीठ ने बीते 80 सालों में 85 लाख से ज्यादा लोगों को हिंदी सिखाई है। वर्ष 1920 में महात्मा गांधी की ओर से स्थापित गुजरात विद्यापीठ शुरू से ही हिंदी-हिंदुस्तानी के प्रचार-प्रसार में कार्यरत रही। हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर गुजरात विद्यापीठ के कुलपति डॉ. हर्षद पटेल ने बताया कि गुजरात विद्यापीठ 80 सालों में 85 लाख से ज्यादा लोगों, बच्चों को हिंदी सिखाने का माध्यम बनी है।
गुजरात विद्यापीठ ने 1946 में तत्कालीन कुलनायक वल्लभभाई पटेल की अध्यक्षता में "गुजरात हिंदी प्रचार समिति" का गठन किया। उसके तहत हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार का कार्य औपचारिक रूप से प्रारंभ किया गया, जो अब तक नियमित रूप से जारी है। हिंदी बालपोथी (कक्षा छह से सात), हिंदी पहली (कक्षा सात के छात्र), हिंदी दूसरी परीक्षा (कक्षा 8 से 10), हिंदी तीसरी (हिंदी दूसरी परीक्षा पास और 10वीं पास छात्र), हिंदी विनीत (हिंदी तीसरी परीक्षा पास, 12वीं पास, पीटीसी छात्र) और हिंदी सेवक परीक्षा (12वीं, पीटीसी, स्नातक छात्र) के नाम से अलग-अलग स्तर की हिंदी परीक्षाएं ली जाती हैं। जिन्हें सरकार की ओर से भी मान्यता प्राप्त है।
डॉ. पटेल ने बताया कि 1946 में प्रारंभ हुई समिति का कार्य आज 2025 में 80 वर्ष पूरे करेगा। इन आठ दशकों में गुजरात के 85 लाख से ज्यादा विद्यार्थी समिति की ओर से ली गईं विभिन्न स्तर की परीक्षाएं दे चुके हैं।
पटेल ने बताया कि ये परीक्षाएं वर्ष में चार बार आयोजित की जाती हैं। गुजरात विद्यापीठ के हिंदी भवन का उद्घाटन भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने किया था। हिंदी विभाग स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी पाठ्यक्रम करता है साथ ही शिक्षा महाविद्यालय में हिंदी से बी.एड. का कोर्स भी चलाया जाता है।
(वर्ष 1971 से अगस्त 2025 तक)
हिंदी बालपोथी: 20,42,131
हिंदी पहली: 26,92,355
हिंदी दूसरी: 24,09,111
हिंदी तीसरी: 8,76,218
हिंदी विनीत: 4,57,904
हिंदी सेवक: 42,647
कुल परीक्षार्थी: 85,20,224
(स्त्रोत: गुजरात विद्यापीठ)
Published on:
13 Sept 2025 10:39 pm
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