
Ahmedabad News: आईआईटी गांधीनगर के विद्यार्थियों ने छेड़ी थाली में 'भोजन न छोडऩे ' की मुहिम
अहमदाबाद. भोजन की अहमियत को लेकर IIT Gandhinagar भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गांधीनगर के प्रथम वर्ष बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी (बीटेक) कोर्स के विद्यार्थियों ने Reducing Food Waste Challenge 'थाली में भोजन न छोडऩे' की मुहिम छेड़ी है। इस मुहिम का उद्देश्य यह है कि थाली में कम से कम भोजन छूटे। शुरूआत में ही इसके बेहतर परिणाम देखने को मिले हैं।
प्रथम वर्ष के सीनेटर निखर्व शाह ने कहा कि फाउंडेशन प्रोग्राम के दौरान विद्यार्थियों को बताया गया था कि प्रथम वर्ष के करीब 200 विद्यार्थी जब भोजन करते हैं तो थाली में काफी भोजन छोड़ देते हैं। इनकी थाली में करीब 40 किलोग्राम तक भोजन छूटता है। इन विद्यार्थियों को थाली में छूटने वाले बचे भोजन (जूठन) को 10 किलो से भी कम करने का लक्ष्य दिया था।
शुरूआत में ऐसा करना कठिन लग रहा था, लेकिन इसे पूरा करने को 'थाली में भोजन न छोडऩे' की मुहिम छेड़ी। इस मुहिम में बैच के सभी 20५ विद्यार्थियों का साथ मिला। नतीजा यह रहा कि गत 21 सितंबर को एक दिन में 10 किलोग्राम की जगह सिर्फ दो किलो १६० ग्राम ही भोजन थाली में बचा। हालांकि कई विद्यार्थी नाश्ते और भोजन में नहीं आ पाए थे, लेकिन यदि सभी विद्यार्थी दोनों समय का नाश्ता और भोजन करते तो भी पांच किलो से भी कम भोजन थाली में बचता जो निर्धारित १० किलोग्राम के लक्ष्य से भी ५० फीसदी कम होता।
छात्रा साक्षी जगताप बताती हैं कि इस मुहिम के चलते पहली बार ऐसा देखने को मिला कि विद्यार्थी उनकी थाली में बची रोटी को पास बैठे विद्यार्थी के साथ भी शेयर कर रहे थे।
शाश्वत जैन बताते हैं कि विद्यार्थियों ने इस मुहिम में स्वयंभू हिस्सा लिया। उन्होंने यह भी कहा कि कई विद्यार्थियों की खाली में तो बिल्कुल भोजन नहीं बचा। साई श्रेया बताती हैं कि प्रथम बैच के विद्यार्थियों के लिए मैस में अलग डस्टबिन रखी गई थी।
आईआईटी गांधीनगर की स्टूडेंट काउंसिल के वेल्फेयर सेक्रेटरी क्षितिज सेंद्रे ने कहा कि प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों की इस पहल ने वरिष्ठ विद्यार्थियों को भी प्रेरित किया है। एक नया ट्रेंड शुरू किया है। एक दिन से फिलहाल इसकी शुरूआत हुई है। बाद में कोशिश रहेगी कि इसे हर दिन लागू किया जाए।
संस्थान ने पाया है ईट राइट कैंपस पुरस्कार
आईआईटी गांधीनगर को देश के पहले ईट राइट शैक्षणिक कैंपस का पुरस्कार भी मिल चुका है। यह पुरस्कार फूड सेफ्टी एंड स्टांडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) की ओर से इसी वर्ष दिया गया। इसके तहत परोसे जाने वाले भोजन के न सिर्फ शुद्ध होने बल्कि पौष्टिक होने को भी ध्यानार्थ लिया जाता है। इसे बनाने की प्रक्रिया के भी सुरक्षित होने को परखा जाता है।
विद्यार्थी हर चैलेन्ज पूरा करने में सक्षम
थाली में भोजन न छोडऩे की मुहिम की शुरूआती सफलता ने यह साबित कर दिखाया है कि विद्यार्थी हर चैलेन्ज को पूरा करने में सक्षम हैं। फाउंडेशन प्रोग्राम के दौरान प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को चैलेन्ज दिया था कि सभी विद्यार्थी भोजन की अहमियत समझें। उतना ही खाना थाली में परोसें जितना खा सकें। जरूरत पड़े तो दोबारा परोसें। थाली में बचा हुआ खाना नहीं छोड़े। विद्यार्थियों ने इस चुनौती को न सिर्फ पूरा कर दिखाया बल्कि वे तन्मयता से इससे जुड़े, जिसके चलते अन्य विद्यार्थी भी प्रेरित हुए हैं।
-प्रो.सिवप्रिया किरूबाकरन-मैस वार्डन, आईआईटी गांधीनगर
Published on:
25 Sept 2019 10:17 pm
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