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भारतीय कवियों ने राष्ट्र बोध जगाने में अहम् भूमिका निभाई : प्रो. दूबे

वडोदरा : गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय में राष्ट्र कवि दिनकर की जयंती पर राष्ट्रीय संगोष्ठी वडोदरा. गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी अध्ययन विभाग की ओर से राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती मनाई गई।इस अवसर पर मंगलवार को भारतीय कविता में राष्ट्र बोध विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।संगोष्ठी का उद्घाटन विश्वविद्यालय […]

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वडोदरा : गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय में राष्ट्र कवि दिनकर की जयंती पर राष्ट्रीय संगोष्ठी

वडोदरा. गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी अध्ययन विभाग की ओर से राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती मनाई गई।
इस अवसर पर मंगलवार को भारतीय कविता में राष्ट्र बोध विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।संगोष्ठी का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रमाशंकर दूबे के साथ प्रो. बलवंत जानी, प्रो. करुणाशंकर उपाध्याय, प्रो. संजीव कुमार दुबे, डॉ. लविंद्र सिंह लबाना एवं डॉ गजेंद्र मीणा ने दीप प्रज्वलन से किया।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रमाशंकर दूबे ने की। उन्होंने कहा कि भारतीय कवियों ने राष्ट्र बोध जगाने में अहम् भूमिका निभाई। प्रो. दूबे ने रामधारी सिंह दिनकर के साहित्य में राष्ट्रीय चेतना के विविध आयामों पर प्रकाश डाला। साथ ही सिनेमा के गीतों में राष्ट्र बोध को रेखांकित किया।
प्रो. करुणाशंकर उपाध्याय ने भारतीय कविता में राष्ट्र बोध के कई प्रकट-अप्रकट रूपों की जानकारी दी। प्रो. बलवंत जानी ने हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिलाने में मदन मोहन मालवीय और पुरुषोत्तम दास टंडन के योगदान का उल्लेख किया।
हिंदी अध्ययन विभाग के अध्यक्ष प्रो. संजीव कुमार दुबे ने भारतीय कविता के ऐतिहासिक विकास क्रम में राष्ट्र बोध के स्वरूप को रेखांकित किया। डॉ. लविंद्रसिंह लबाना ने विषय प्रवर्तन किया। इस अवसर पर बैंक ऑफ बड़ौदा की ओर से स्नातकोत्तर हिंदी विषय में सर्वोच्च अंक पाने वाली छात्रा और छात्र को सम्मानित किया।
संगोष्ठी के प्रथम सत्र में प्रो राजेश मकवाना की अध्यक्षता में डॉ. सुरेश सालवी, डॉ. अनीता शुक्ल, डॉ. नवीन नंदवाना ने विचार प्रस्तुत किए। द्वितीय सत्र में डॉ. तमन्ना लालवानी, डॉ. मिनेश डामोर, डॉ. बलदेव प्रजापति एवं डॉ. प्रेमलता देवी ने प्रपत्र प्रस्तुत किए।
मुख्य अतिथि प्रो. कल्पना गवली एवं अध्यक्ष प्रो. मुन्ना तिवारी ने अनेक कवियों के उदाहरण से राष्ट्रीयता की चेतना और देश भक्ति की भावना पर प्रकाश डाला।