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मच्छू-2 बांध को मरम्मत के लिए किया जाएगा खाली

मोरबी को जलापूर्ति के लिए होगी वैकल्पिक व्यवस्था, पांच दरवाजे कमजोर होने के चलते होगी मरम्मत,33 वर्ष में पहली बार होगा बांध खाली

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मच्छू-2 बांध को मरम्मत के लिए किया जाएगा खाली

मच्छू-2 बांध को मरम्मत के लिए किया जाएगा खाली

राजकोट. मोरबी जिले के मच्छू-2 बांध को पहली बार खाली करने का निर्णय किया गया है। 33 वर्ष में इसे पहली बार खाली किया जाएगा। इस बांध के पांच दरवाजे के कमजोर होने के चलते इसकी मरम्मत की जाएगी। गर्मी के मौसम में मोरबी को पानी की आपूर्ति के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है।

मोरबी का यह बांध वर्ष 1979 में टूटने के बाद नए सिरे से बनाया गया था। उस दौरान बांध में नए 20 गेट तैयार किए गए थे, जबकि पुराने 18 गेट बरकरार रखे गए थे। नए सिरे से मरम्मत किए जाने के 33 वर्ष बाद इस बांध को 15 अप्रेल के बाद खाली किया जाएगा। बांध में लगभग 1400 एमसीएफटी पानी को मच्छू नदी एवं आजी डेम में छोड़ा जाएगा। मोरबी को जलापूर्ति के लिए नर्मदा जल आवंटित करने की मांग की जा रही है। यह बांध इतना बड़ा है कि न सिर्फ मोरबी शहर को जलापूर्ति करता है बल्कि इससे आसपास के गांवों की सिंचाई भी की जाती है। बांध के अधिकारियों के मुताबिक मच्छू 2 बांध के पांच गेट कमजोर हो गए हैं। इसलिए इन गेटों को बदलने के लिए गर्मी के मौसम में ही बांध को खाली करने का निर्णय किया गया हैं। पांच गेटों को बदलने के अलावा शेष गेटों को भी मजबूत किया जाएगा।2400 एमसीएफटी क्षमता वाले इस बांध से पानी छोड़े जाने से मोरबी तहसील के गांवों के किसानों को सिंचाई के लिए मुश्किल हो सकती है। हालांकि बांध के खाली होने के बावजूद नियमित 15 दिन की आपूर्ति की जा सकती है। इसके बाद की जाने वाली वैकल्पिक व्यवस्था के बारे में चर्चा की जा रही है।

मोरबी जिले का सबसे बड़ा बांध

मच्छू-2 बांध मोरबी जिले का सबसे बड़ा बांध है। मच्छू नदी पर सबसे पहले वर्ष 1959 में मच्छू-1 बांध का निर्माण किया गया था। इसके बाद वर्ष 1972 में मच्छू-2 बांध का निर्माण किया गया। वर्ष 1979 में मच्छू-2 बांध के टूटने के कारण सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद इसे नए सिरे से बनाया गया था।