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एशिया के सबसे बड़े सिविल अस्पताल में प्रति माह लगभग 300 से अधिक ऐसे मरीजों को उपचार के लिए लाया जाता है, जिनका अपना कोई नहीं होता है। इतना ही नहीं प्रति माह औसतन 50 लावारिस शवों का अस्पताल की ओर से अंतिम संस्कार भी किया जाता है। इसमें स्वैच्छिक संस्थाएं भी कभी -कभी योगदान देती हैं।सिविल अस्पताल में लावारिस बीमार मरीजों के उपचार के लिए अलग से वार्ड बनाया गया है। पिछले छह माह -फरवरी से जुलाई तक इस वार्ड में 1938 लावारिस मरीजों भर्ती कर उपचार दिया गया। इन सभी मरीजों के परिजन नहीं थे। इनमें से कई ऐसे हैं जिन्हें किसी संस्था के जरिए उपचार के लिए पहुंचाया गया, तो कई ऐसे भी हैं जिन्हें लोगों ने इमरजेंसी एम्बुलेंस 108 के जरिए यहां तक भेजा गया। इनमें से यदि किसी मरीज की मौत होती है तो उनका अस्पताल की ओर से पुलिस व चिकित्सा टीम की निगरानी में अंतिम संस्कार की विधि भी की जाती है। अस्पताल में लावारिस मरीजों के लिए जो वार्ड हैं उनमें यह भी ध्यान रखा जाता है कि मरीजों को अपनों की कमी नहीं खले। इसके लिए त्योहारों पर यहां विविध आयोजन भी होते हैं।
सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राकेश जोशी ने बताया कि अस्पताल में उपचार के दौरान प्रति माह औसतन 50 लावारिस मरीजों की मौत हो जाती है। इनके अंतिम संस्कार में खास ध्यान रखा जाता है। पुलिस और चिकित्सा टीम की देखरेख के बीच अंतिम संस्कार किया जाता है। मृतक के धर्म के आधार पर दाह संस्कार या फिर दफनाया जाता है। कभी-कभी इस कार्य प्रणाली में गैर सरकारी संस्थाओं का भी सहयोग होता है। उनका कहना है कि अस्पताल में लावारिस मरीजों के विशेष वार्ड बनाकर उनमें सहयोग के लिए विशेष कर्मचारी भी रहते हैं।
फरवरी-280
मार्च-352
अप्रेल-303
मई-348
जून-321
जुलाई-334
Published on:
02 Sept 2025 10:34 pm
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