
IIT Gandhinagar research पलभर के ऑडियो से संभव होगी मोबाइल फोन की पहचान
अहमदाबाद. तकनीक के बढ़ते उपयोग के दौर में डाटा की सुरक्षा, उसकी सत्यता (ऑथेन्टिसिटी) काफी अहम हो गई है। वह भी तब जब उस डाटा में संवेदनशील जानकारियां हों। संवेदनशील जानकारी से जुड़ा ऑडियो यदि लीक हो जाता है तो ऐसे मामलों को सुलझाने के लिए फोरेंसिक जांच में मददगार साबित हो ऐसी शोध भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गांधीनगर (आईआईटी-गांधीनगर) के प्रोफेसर नितिन खन्ना एवं पीएचडी छात्र विनय वर्मा ने की है।
शोध के तहत पल भर (महज एक सेकेंड) की ऑडियो रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध होने की स्थिति में यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि ऑडियो की रिकॉर्डिंग किस मोबाइल फोन (सेलफोन हैंडसेट) से की गई है। इतना ही नहीं वह किस ब्रांड और किस मॉडल का है। यह शोध भ्रमित करने वाले ऑडियो और असली ऑडियो की सत्यता की पुष्टि में भी मददगार साबित होगी। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से यह शोध की गई है।
संस्थान के प्राध्यापक प्रोफेसर नितिन खन्ना बताते हैं कि इस शोध में सात अलग अलग ब्रांड के 21 मोबाइल फोन का उपयोग किया गया। 12 पुरुष और 12 महिलाओं की ऑडियो रिकॉर्डिंग के जरिए शोध की गई। इसमें सामने आया कि प्रत्येक सेल-फोन से रिकॉर्ड किए गए ऑडियो में उस सेल-फोन के अनुरूप स्पेसिफिक एवं यूनिक सिग्नेचर (विशेष छाप) होते हैं। रिकॉर्ड किए गए ऑडियो में अंतर्निहित (समाहित) सेल फोन के इन स्पेसिफिक एवं यूनिक सिग्नेचर के जरिए उपयोग किए गए मोबाइल फोन की पहचान की जा सकती है। ऑडियो की सत्यता की पुष्टि की जा सकती है। यह मल्टीमीडिया फोरेंसिक व उसकी जांच के क्षेत्र में काफी महत्वपूर्ण है।
कॉन्वोल्यूशन न्यूरल नेटवर्क (सीएनएन) आधारित सिस्टम के जरिए की गई इस शोध में मोबाइल फोन के ब्रांड और मॉडल की पहचान को ९९.८८ और ९९.२१ प्रतिशत तक सुनिश्चित करने में सफलता मिली है। शोध के तहत ऐसी पद्धति को तैयार किया है, जिसके जरिए आसानी से, जल्द और तकनीक के उपयोग के जरिए सटीक पहचान सुनिश्चित होती है।
शोध से जुड़़े पीएचडी छात्र विनय वर्मा बताते हैं कि अभी तक दो सेकेन्ड और तीन सेकेन्ड के ऑडियो उपलब्ध होने पर मोबाइल फोन की पहचान सुनिश्चित की जा सकती थी। इसमें सिर्फ एक सेकेन्ड के ऑडियो उपलब्ध होने पर भी मोबाइल फोन को पहचाना जा सकता है।
असली ऑडियो से छेड़छाड़ की पुष्टि में अहम
प्रोफेसर नितिन खन्ना बताते हैं कि यह शोध (पद्धति) असली ऑडियो रिकॉर्डिंग के साथ छेड़छाड़ की जांच में मददगार होगी। एक सेकेंड के ऑडियो की सत्यता भी इसमें जानी जा सकती है। ऐसे में यदि कोई असली ऑडियो से छेड़छाड़ करके उसमें अन्य ऑडियो कंटेट को जोड़कर उसे वायरल करता है तो इसके जरिए साबित किया जा सकेगा कि ऑडियो में छेड़छाड़ हुई है। इतना ही नहीं अन्य शामिल किया गया ऑडियो किस मोबाइल फोन से रिकॉर्ड किया है। ऐसे में यह मल्टी मीडिया फोरेंसिक जांच में काफी अहम साबित होगी।
Published on:
23 Aug 2019 10:07 pm
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