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शेर ए राजस्थान संत रूपमुनि नहीं रहे

साल अस्पताल में थे बीस दिन से उपचाराधीन

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Sher A Rajasthan Sant Rupamuni passes away

File photo

अहमदाबाद. लोकमान्य राष्ट्र संत शेर-ए- राजस्थान के वरिष्ठ प्रवर्तक अहिंसा दिवाकर रूपमुनि (रूपचंद) महाराज का शुक्रवार को देवलोक गमन हो गया। वे ९३ वर्ष के थे। मुनि पिछले करीब बीस दिन से अहमदाबाद के साल अस्पताल में उपचाराधीन थे। इस समाचार से उनके अनुयाइयों में शोक की लहर छा गई। उनके पार्थिव शरीर को राजस्थान के जैतारण ले जाया गया है।
साल अस्पताल में भर्ती रहे मुनि का उपचार करने वाले नेफ्रोलोजिस्ट चिकित्सक डॉ. राज मंडोत ने बताया कि मुनि महाराज को करीब बीस दिन पहले पैर की नस ब्लॉक होने के चलते एन्जोप्लास्टी के लिए लाया गया था। किडनी ठीक तरह से काम नहीं करने के कारण मुनि पिछले आठ वर्ष से डायालिसिस पर थे। डॉ. मंडोत पिछले १४ वर्ष से उनके स्वास्थ्य की देखभाल कर रहे थे। चिकित्सक मंडोत ने बताया कि मुनि को किडनी संबंधित बीमारी के अलावा पिछले कुछ वर्षों से हृदय की बीमारी भी परेशान कर रही थी। तकलीफ होने पर उन्हें अहमदाबाद स्थित अस्पताल में लाया जाता था। शुक्रवार रात लगभग पौने तीन बजे मुनि ने अंतिम सांस ली। मुनि के निजी सचिव नरेन्द्र देवासी के अनुसार रूपमुुनि का सागारी संथारा पूर्वक रात २.४५ बजे देवलोक गमन हुआ। उनके पार्थिक शरीर को राजस्थान के पाली जिले के जैतारण में ले जाया गया। उनकी अंतिम यात्रा रविवार दोपहर एक बजे राजस्थान के पाली जिले के जैतारण स्थित जैन स्थानक से निकाली जाएगी। मुनि के देवलोक गमन के संबंध में जानकारी पाकर देशभर में रह रहे उनके अनुयायी बड़ी संख्या में अंतिम दर्शन के लिए जैतारण पहुंच रहे हैं। प्रखर व्यक्तित्व के धनी मुनि के न सिर्फ जैन समाज बल्कि अन्य समाज के अनुयायी भी हैं। रूप मुनि महाराज ने जैतारण और आसपास शिक्षा समेत कई कार्य ऐसे करवाए हैं जो समाज के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं। कहा जाता है कि क्षेत्र में वे घरेलू झगड़ों को भी निपटा देते थे। उनके चाहक देश के लगभग हर शहर में देखे जा सकते हैं। वे आमतौर पर उपचार के लिए अहमदाबाद ही आते थे। उनकी तबीयत खराब होने के समाचार मिलते ही अहमदाबाद के अलावा चेन्नई, बेंगलूरु, मुंबई, भोपाल और यहां तक कि कोलकाता और अन्य शहरों से भी लोग दर्शनों को उमड़ पड़ते।