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अहमदाबाद

म.प्र, गुजरात की दो बालिकाओं को मिली कूबड़ से मुक्ति

पहली बार भारतीय और अमरीका के चिकित्सकों ने मिलकर इस तरह के जटिल ऑपरेशन किए। निजी अस्पतालों में छह से आठ लाख में होने वाली सर्जरी यहां मुफ्त में की गई है।

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अहमदाबाद शहर के सिविल मेडिसिटी कैंपस #civil mediciy स्थित स्पाइन इंस्टीट्यूट #Spine institute में आयोजित कार्यशाला के दौरान मध्यप्रदेश और गुजरात की दो बालिकाओं को पीठ के कूबड़ से मुक्ति मिल गई। पहली बार भारतीय और अमरीका के चिकित्सकों ने मिलकर इस तरह के जटिल ऑपरेशन किए। निजी अस्पतालों में छह से आठ लाख में होने वाली सर्जरी यहां मुफ्त में की गई है।यह पहली बार है जब स्कोलियोसिस संबंधी विकृति (रीढ़ की हड्डी की खामी) को ठीक करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग से सफल ऑपरेशन किए गए।

इंडो-अमेरिकन वर्कशॉप फॉर स्पाइन सर्जरी Indo-American Workshop for Spine Surgery का आयोजन शहर की स्पाइन इंस्टीट्यूट में गत 9 और 10 जनवरी हुआ, जिसका उद्देश्य रीढ़ की हड्डी की विकृति का उपचार और उस संबंध में जागरूक करना है। अमरीका के सिनसिनाटी चिल्ड्रन हॉस्पिटल से आए पीडियाट्रिक स्पाइन सर्जन डॉ. विरल जैन, डॉ. हर्ष पटेल व अन्य विशेषज्ञों की टीम के साथ स्पाइन इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर व स्पाइन सर्जन डॉ. पीयूष मित्तल, डॉ. प्रेरक ने मिलकर दोनों बालिकाओं की सर्जरी की।इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. मित्तल ने बताया कि जटिल सर्जरी के बाद अब दोनों ही बालिकाओं को पीड़ा से भी मुक्ति मिल गई है। पांच से छह घंटे तक चले ऑपरेशन का खर्च लाखों रुपए में होता है लेकिन यहां पूरी तरह से नि:शुल्क किया गया।

उन्होंने उम्मीद जताई कि इस तरह की वर्कशॉप से राज्य में मेडिकल टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा और ऐसे मरीजों को मुफ्त इलाज भी मिल सकेगा।एक वर्ष में 15 जटिल सर्जरीडॉ. मित्तल ने बताया कि सरकारी स्पाइन इंस्टीट्यूट में पिछले एक वर्ष में स्कोलियोसिस जैसी अत्यंत जटिल मानी जाने वाली 15 सर्जरी की हैं। अब अमरीका के चिकित्सकों के साथ ऐसी सहमति बनी है कि हर वर्ष इस तरह के वर्कशॅाप में पीडि़तों के निशुल्क ऑपरेशन हो सकेंगे। इस तरह के ऑपरेशन काफी चुनौतीपूर्ण होते हैं। ध्यान रखा जाता है कि रीढ़ की हड्डी और तंत्रिका तंत्र को क्षति न पहुंचे। इसके लिए निरंतर न्यूरोमॉनीटरिंग की भी आवश्यकता होती है।पांच से छह घटे में लगते हैं सर्जरी में

स्कोलियोसिस सर्जरी पूरी होने में लगभग 5 से 6 घंटे लगते हैं। इस सर्जरी के दौरान अन्य नसों को क्षति पहुंचने का खतरा रहता है। इसलिए, इस प्रकार की स्कोलियोसिस सर्जरी इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए की जाती है, जो बहुत जटिल और चुनौतीपूर्ण है।