
Gujarat: उत्तरायण आज, छतों पर होगा पूरा गुजरात, पतंगों से अट जाएगा आसमान
Uttarayan will be celebrated in Gujarat today
पतंग और फिरकी के साथ काइपो छे... व लपेट..और तेज आवाज वाले साउंड सिस्टम पर बजते फिल्मी गीत के बीच छतों पर ऊंधियू व जलेबी के स्वाद के साथ पिकनिक-सा माहौल। जी हां, शनिवार को गुजरात के लोगों का पसंदीदा त्यौहार उत्तरायण है। इस बार कोरोना के डर से दूर लोग दुगने उत्साह के साथ इस पर्व को मनाने के लिए तैयार हैं। पूरा गुजरात शनिवार के साथ-साथ रविवार को भी छतों पर नजर आएगा। सप्ताहांत के चलते उत्तरायण के साथ-साथ बासी उत्तरायण (15 जनवरी रविवार) को भी लोग इस पर्व का खूब लुत्फ उठाएंगे।
कोरोना के कारण पिछले दो वर्षों तक पतंग उड़ाने में जो कमी रह गई थी उसे पूरी करने में लोग कोई कसर नहीं छोडऩा चाहेंगे। जिस तरह से पतंग उड़ाने की तैयारी चल रही है उससे लगता है कि आसमान पतंगों से अट जाएगा। दो वर्षों बाद जमकर पतंग व फिरकी की खरीदी भी हुई। गुजरात में उत्तरायण पर्व का उत्साह देखते ही बनता है। पतंगबाजी कर पर्व को मनाने की परंपरा चली आ रही है। इस दिन लोगों का मुख्य भोजन ऊंधियु-जलेबी होता है।उत्तरायण पर पतंगबाजी का शुरूर यूं तो अगले दो दिनों तक रहने वाला है, लेकिन शनिवार को अलग ही रंगत रहेगी। सुबह से ही लोग नए-नए परिधानों में सज-धजकर छतों पर पहुंच जाते हैं। आंखों पर चश्मे, सिर पर टोपी, हाथ में फिरकी और निगाहें आसमान पर होंगी। गुजरात की खास बात यह है कि यहां पतंग उड़ाने में कोई पीछे नहीं रहता, चाहे वह बच्चे, युवा या बूढ़े। सभी लोग उत्साह से पतंग उड़ाते नजर आएंगे। कोई फिरकी को पकड़ता है तो कोई पतंग को लहराता है। पेंच लड़ाते वक्त यदि किसी की पतंग कट जाती है तो उत्साह भी पूरे जोश में नजर आता है।
ऊंधियु-जलेबी के लिए लगेगी कतार
अहमदाबाद समेत पूरे गुजरात में उत्तरायण पर ऊंधियू-जलेबी की धूम रहेगी। इसके लिए दुकानों पर लंबी कतार भी देखी जाएगी। इस दिन भोजन के रूप में ज्यादातर लोग ऊंधियु-जलेबी ही खाते है। पतंग उड़ाते समय ऊंधियु-जलेबी के अलावा तिल और गुड से बने व्यंजनों का भी लोग स्वाद लेंगे।
एक दिन पहले हुई जमकर खरीदी
वैसे तो पतंग और मांझे की खरीदी पिछले तीन-चार दिनों से काफी ज्यादा हो रही है। पर्व के एक दिन पहले शुक्रवार को भी लोगों ने जमकर पतंग और मांझे की खरीदी की। शाम को तो हालात ये हो गए कि दुकानों पर ग्राहकों का तांता लग गया। शहर के टंकसाल, रायपुर, कालुपूर जैसे इलाकों में पैर रखने की जगह नहीं थी।
शहर के विविध बाजारों में पतंग और डोरी के लिए लोग देखे गए। मांझा रंगाने के लिए भी लोग कतार में नजर आए। डोर रंगने वाले कारीगर भी पूरे दिन व्यस्त नजर आए। उनके लिए यह दिन सबसे व्यस्त दिन रहा।25 हजार से एक लाख तक भाड़े पर छत
उत्तरायण पर पोळों (पुराने अहमदाबाद के मोहल्ले) में अब तो भाड़े की छत मिलती है। लोग शौक से भाड़े पर छत लेकर इस पर्व का आनंद उठाते हैं। यह भाड़ा 25 हजार से लेकर एक लाख तक का होता है। इसमें छत मालिक नाश्ता, म्युजिक सिस्टम, भोजन आदि सुविधाएं उपलब्O कराते हैं।नोट::::(इस खबर के उपर या फिर मास्ट हैड पर एक बड़ी सी 4-5 कॉलम की फोटो भी जाएगी) जिसे अगली फाइल में भेजूंगा)
Published on:
13 Jan 2023 10:23 pm
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