
अजमेर। 30 मार्च 1948 को राजपुताना से राजस्थान प्रांत का गठन होने के साथ ही जयपुर प्रदेश की राजधानी बनी लेकिन राजस्थान के बीचो बीच स्थित Ajmer में अपनी अलग विधानसभा हुआ करती थी। राजस्थान के पहले मुख्यमंत्री भले ही हीरालाल शास्त्री बने लेकिन अजमेर के पहले मुख्यमंत्री हरिभाऊ उपाध्याय हैं। यहां की विधानसभा में 30 विधायक हुआ करते थे और भागीरथ चौधरी यहां के पहले विधानसभा अध्यक्ष रहे हैं।
ब्रिटिश भारत में 10 प्रमुख प्रशासनिक पृन्तों में शामिल रही अजमेर मेरवाड़ा स्टेट का अपना अलग इतिहास रहा है। यहां आजादी के बाद भी 1 नवम्बर 1956 तक अपनी सत्ता, अपनी सरकार रही, जो राजस्थान से पूरी तरह अलग काम करती थीं। अजमेर में जयपुर रोड पर स्थित ब्रिटिशकालीन इमारत आज भी उस गौरवमयी इतिहास की गवाही देती है। आज इस इमारत में टीटी कॉलेज संचालित है। इसी में विधानसभा चलती थी।
अजमेर की सरकार में जनता ने 22 जनवरी 1952 को 30 विधायकों को चुनकर पहली विधानसभा का गठन किया था। हालाकि इसमें किशनगढ़ रियासत शामिल नहीं हुई थी। लगभग पांच साल तक अपनी सरकार चलाने के बाद 1 नवम्बर 1956 को राजस्थान में विलय के साथ अजमेर ने पहली बार राज्य की चुनावी चौपाल में अपना दावा ठोका था।
ऐसा था अजमेर-मेरवाड़ा स्टेट
अजमेर-मेरवाड़ा स्टेट के लिए मीरशाह अली कॉलोनी जयपुर रोड स्थित शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय (टीटी कॉलेज ऑफ हाई स्कूल एंड इंटरमीडिएट एज्युकेशन) की इमारत को बतौर विधानसभा भवन के लिए चुना गया। राजस्थान विलय के बाद इसी इमारत में पुन: टीटी कॉलेज स्थापित कर दिया गया। यह आज भी संचालित है। 78 वर्ष पुरानी इमारत में मौजूद कक्ष में बड़ा सेंट्रल हॉल ऊंची छत आज भी अजमेर मेरवाड़ा स्टेट के गौरव की गवाह है।
Published on:
28 Sept 2018 12:10 pm
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