समारोह में कई नाटकों का मंचन किया गया। कलाकारों ने गरीबी, सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव, स्वच्छता, महिला अत्याचार, सांप्रदायिकता, कन्या भू्रण हत्या, दहेज प्रथा और भ्रष्टाचार जैसी बुराईयों पर जमकर कटाक्ष किया। उन्होंने भारत को विकसित बनाने, नारी सशक्तिकरण और सांस्कृतिक मूल्यों के संवद्र्धन पर जोरदिया। देश में गरीबी-अमीरी के भेदभाव को भी नाट्य विधा में बखूबी दिखाया गया।
डीएवी शताब्दी स्कूल का नाटक ईदगाह सर्वश्रेष्ठ रहा। स्कूल को बीना भार्गव चल वैजयंती प्रदान की गई। स्कूल ने लगातार तीसरी बार चल वैजयंती पर कब्जा जमाया। कांग्रेस के ओबीसी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष मामराज सेन ने शुभारंभ किया। चित्रकूट धाम पुष्कर के महंत पाठक महाराज, पोस्ट मास्टर जनरल रामभरोसा, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एस. के अरोडा, पूर्व उपमहापौर सोमरत्न आर्य, पुरातत्व विभाग के नीरज त्रिपाठी, सपना संस्थान के अशोक भारद्वाज, वरिष्ठ रंगकर्मी लाखनसिंहए, समाजसेवी नरेंद्र डीडवानिया, रंगकर्मी नीरज कडेला, अजय प्रताप सिंह, नवीन सोगानी और अन्य ने विजेताओं को पुरस्कृत किया।
वक्ताओं ने रंगमंच को जिंदा रखने, नाट्य विधा को बढ़ावा देने पर जोर दिया। इस दौरान सुमन गिरधर खंडेलवाल, राजेंद्र सिंह और अन्य को सम्मानित किया गया। अध्यक्ष विष्णु अवतार भार्गव ने धन्यवाद दिया। संचालन नरेंद्र भारद्वाज ने किया।
यह रहे परिणाम सर्वश्रेष्ठ नाटक-ईदगाह (डीएवी शताब्दी), द्वितीय नाटक-काबुली वाला (संस्कति), तृतीय-सस्ते जहाज का सपना (टर्निंग पॉइन्ट), श्रेष्ठ संवाद अदायगी-धीरज लालवानी, सह अभिनेता-रविदास, हास्य अभिनेता-कनिष्का, सह अभिनेता-भूमिका मेहरा, नमन अग्रवाल, सह अभिनेत्री-नीता, श्रेष्ठ अभिनेता-रोहन श्रीवास्तव, अभिनेत्री-शिवानी राठौड़, श्रेष्ठ निर्देशक-सोनालीकर
मैडम बचाइए हमारी नौकरी, वरना भूखे मर जाएंगे हम शहर की मिशनरी स्कूल की शिक्षकों ने जिला कलक्टर आरती डोगरा के समक्ष गुहार लगाई। उन्होंने स्कूल प्रशासन द्वारा सातवां वेतनमान नहीं देने, वेतनमान में भेदभाव और कथित तौर पर परेशान करने के मामलों की जांच करने की मांग की है।
नसीराबाद रोड स्थित मिशनरी स्कूल के शिक्षकों का पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को जिला कलक्टर से मुलाकात करने पहुंचा। शिक्षक-शिक्षिकाओं ने बताया कि स्कूल के सीबीएसई से सम्बद्धता के बाद प्रबंधन ने उन्हें वेतनमान और अन्य सुविधाएं यथावत रखने की बात कही थी। साथ ही मूल वेतन और अन्य भत्ते राज्य सरकार के नियमानुसार दिए जाने का आश्वासन भी दिया गया।
स्कूल शिक्षकों का वेतन-भत्तों में बढ़ोतरी का तर्क देकर प्रतिवर्ष फीस वृद्धि कर रहा है। लेकिन हकीकत में वेतनमान और ग्रेड-पे नहीं दिए जा रहे हैं।बीती जुलाई में स्कूल प्रबंधन ने एक नियमावली जारी कर दी। इसमें साफ कहा गया है, कि नियमों की पालना नहीं करने वाले शिक्षकों की सेवाएं समाप्त की जाएंगी।