
Ajmer Dargah (Image Source: Patrika)
Ajmer Dargah Case: राजस्थान के अजमेर जिले में विश्व प्रसिद्ध ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह को लेकर चल रहा मंदिर विवाद एक बार फिर चर्चा में है। इस मामले में शनिवार को राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई होनी थी, लेकिन न्यायाधीश के अवकाश पर होने और नगर निगम कर्मचारियों के न्यायिक कार्य बहिष्कार के कारण सुनवाई टल गई। अब इस संवेदनशील मामले की अगली सुनवाई 30 अगस्त 2025 को होगी।
मालूम हो यह विवाद हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर याचिका के बाद चर्चा में आया था। इसमें उन्होंने दावा किया है कि अजमेर दरगाह परिसर में एक प्राचीन संकट मोचन महादेव मंदिर मौजूद था। गुप्ता ने अपनी याचिका में ऐतिहासिक तथ्यों, पुरानी तस्वीरों, नक्शों और दस्तावेजों को सबूत के तौर पर पेश किया है।
उनका कहना है कि दरगाह के स्थान पर पहले शिव मंदिर था, जिसे मुस्लिम आक्रमणकारियों ने नष्ट कर दरगाह बनाई। गुप्ता ने कोर्ट से इस स्थल का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा सर्वे कराने और हिंदुओं को पूजा का अधिकार देने की मांग की है।
इस याचिका को अजमेर सिविल कोर्ट ने 27 नवंबर 2024 को स्वीकार कर लिया था, जिसके बाद दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और एएसआई को नोटिस जारी किए गए थे। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन ने अजमेर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। कोर्ट परिसर के आसपास विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई है और पुलिस पूरे शहर में सतर्कता बरत रही है।
इधर, मुस्लिम समुदाय और दरगाह से जुड़े संगठनों, जैसे अंजुमन सैयद जादगान ने इस दावे का कड़ा विरोध किया है। इसे सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करार दिया। दरगाह के खादिमों और समिति ने कोर्ट में दलील दी है कि 1991 का पूजा स्थल अधिनियम इस मामले में लागू होता है, जो 15 अगस्त 1947 के बाद किसी धार्मिक स्थल के स्वरूप में बदलाव पर रोक लगाता है।
दूसरी ओर, विष्णु गुप्ता का तर्क है कि यह अधिनियम दरगाह पर लागू नहीं होता, क्योंकि यह पूजा स्थल नहीं, बल्कि एक मजार है।
Published on:
19 Jul 2025 03:41 pm
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