
Ajmer Jail: चारों प्रहरियों पर गिर सकती है गाज, बंदियों से सुविधा शुल्क की वसूली
अजमेर.
अजमेर सेंट्रल जेल (central jail ajmer) में बंदियों से सुविधा शुल्क वसूली के मामले में पुलिस को मुख्यालय (police head quarters) के आदेश का इंतजार है। इस मामले में लिप्त चार जेल प्रहरियों के निलंबन की कार्रवाई लगभग तय है। उधर मामले में सातों आरोपियों को 29 जुलाई तक रिमांड (remand) पर सौंपा गया है। इनके खिलाफ गहन छानबीन जारी है।
अजमेर सेंट्रल जेल में बंदियों से सुविधा शुल्क के नाम पर वसूली के मामले में शुक्रवार को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (anti corruption bureau) ने कार्रवाई की। इस मामले में अजमेर सेंट्रल जेल का मुख्य जेल प्रहरी अरुण कुमार चौहान, भरतपुर हाल अजमेर सेंट्रल जेल निवासी संजय सिंह, जयपुर दूदू हाल अजमेर सेंट्रल प्रहरी प्रधान बाना, नागौर परबतसर पीलवा राबडिय़ा निवासी केसाराम जाट को पकड़ा गया। इनके अलावा सजायाफ्ता बंदी लौंगिया मोहल्ला निवासी दीपक उर्फ सन्नी, सागर तेजी और दरगाह बाजार हाल लौंगिया मोहल्ला निवासी प्रवेश उर्फ पोलू को भी पकड़ा गया है।
होगी निलंबन की कार्रवाई
सेंट्रल जेल में हुई एसीबी (acb) की कार्रवाई और उसमें लिप्त चारों जेल प्रहरियों के मामले में आलाधिकारी और जेल अधीक्षक मुख्यालय को रिपोर्ट भेज चुके हैं। राज्य सरकार और पुलिस के नियमानुसार चारों जेल प्रहरियों का निलंबन तय है। मुख्यालय से आदेश मिलते ही जेल प्रशासन और आलाधिकारी प्रहरियों को निलंबित करने की कार्रवाई करेंगे।
बैंक खाते भी खंगाल रही एसीबी
जेल प्रहरी अरुण कुमार चौहान, संजय सिंह, प्रधान बाना, केसाराम जाट, सजायाफ्ता बंदी दीपक उर्फ सन्नी, सागर तेजी और प्रवेश उर्फ पोलू के कई बैंक खातों की जानकारी सामने आई है। एसीबी (acb) और पुलिस (police) इन बैंक खातों को खंगाल रही। खासतौर पर पिछले दो से छह महीने में हुए लेन-देन का ब्यौरा संबंधित बैंक से लिया जाएगा। आरोपियों के बैंक खाते में मासिक वेतन-भत्तों के अलावा कब-कब कितना पैसा आया इस पर एसीबी की खास नजर है। किस आरोपी ने किस खाते में रकम ट्रांसफर की इसकी भी पड़ताल की जा रही है।
कोई बड़ा नेटवर्क तो नहीं!
एसीबी (acb) सात आरोपियों के अलावा अन्य एंगल से भी छानबीन कर रही है। वसूली मामले में बड़े नेटवर्क का हाथ होने, जेल में बंद दूसरे आरोपियों से संबंध, प्रदेश के दूसरे जेलों के कैदियों-प्रहरियों की लिप्तता जैसे बिंदुओं को भी शामिल किया जा सकता है। डीजी (जेल) (DG Jail) एनआरके रेड्डी सहित आलाधिकारी मामले पर नजर बनाए हुए हैं। मालूम हो कि राजस्थान पत्रिका ने साल 2017 में अजमेर सेंट्रल जेल में बंदियों से सुविधा शुल्क वसूली को लेकर स्टिंग ऑपरेशन किया था। इसमें खाद्य सामग्री, मोबाइल, बीड़ी, सिगरेट तक भीतर भेजने पर वसूली के खेल को उजागर किया था।
Published on:
21 Jul 2019 11:02 pm
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