
दुल्हन को संवारती किरण रावत।
Ajmer News: अजमेर। महज सात साल की उम्र थी तब बीमारी से लड़ रहे पिता का साया सिर से उठ गया। जब खुद का भी ख्याल नहीं रख पाती थी तब मां भी छोड़ कर चली गई। माता-पिता के अभाव में दादा-दादी ने लाडो को दुलार दिया और शिक्षा से जोड़े रखा। मासूम लाडो पर दु:खों का पहाड़ टूटा मगर हिम्मत नहीं हारी। शिक्षा रूपी 'बैसाखी' के सहारे आज लाडो न केवल खुद अपने पैरों पर खड़ी है बल्कि कई अन्य को रोजगार की राह दिखा रही है।
अजमेर के आदर्शनगर क्षेत्र निवासी किरण रावत (Kiran Rawat) ने संघर्ष भरी जिन्दगी में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। बचपन में आए संकट के बाद किरण ने कक्षा नवमीं में व्यावसायिक शिक्षा में प्रवेश लिया। उसने पढ़ाई के साथ-साथ ब्यूटी एवं वैलनेस का कोर्स किया। स्कूल में बारहवीं की पढ़ाई करते -करते वह ब्यूटी पार्लर के काम में पारंगत हो गई। अपने दादा-दादी पर भार नहीं बनते हुए उसने स्कूल में परीक्षाओं के बाद ब्यूटी पार्लर संबंधी काम शुरू कर दिया। दसवीं से बारहवीं तक शादी-विवाह समारोह में मेहंदी लगाने के अलावा ब्यूटी पार्लर के काम से भी कुछ कमाना शुरू कर दिया।
नहीं फैलाया किसी के आगे हाथ
किरण ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर होने के कारण मन में यही संकल्प था कि मुझे किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना है, जो कुछ करना अपने दम पर करना है। उसने बताया कि अब शादी भी हो गई है। और खुद ने अपना ब्यूटी पार्लर शुरू कर नई जिन्दगी की शुरुआत की है। अपने साथ कई सहेलियों को भी उसने काम सिखाया है। अभी भी ससुराल भूडोल में ग्रामीण बालिकाओं को वह सिखा रही है ताकि वे भी आत्मनिर्भर बन सकें।
संदेश : जीवन में घबराएं नहीं, आगे बढ़ें
किरण ने कहा कि मेरी जैसी कई लड़कियां जो हिम्मत हार जाती हैं, उन्हें हिम्मत रखकर लड़ना सीखना होगा। घबराएं नहीं, पढ़ाई करने से मुश्किल राह भी आसान हो जाती है। उसने बताया कि पढ़ाई के साथ सीखा हुनर जिन्दगी बदल सकता है।
Published on:
18 Nov 2022 04:04 pm
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