Anandpal आनंदपाल के एनकाउन्टर के बाद से राजपूत समाज में नाराजगी थी। प्रदेश में प्रदर्शन भी हुए। विवाद को थामने के लिए तत्कालीन भाजपा सरकार ने कई प्रयास किए। लेकिन लोगों का गुस्सा ठंडा नहीं हुआ। आनंदपाल के गांव सांवराद में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में बड़ी संख्या में लोग जुटे। इस दौरान उपद्रव शुरू हो गया। लोगों की संख्या के मुकाबले पुलिस कम पड़ गई थी। भीड़ ने तत्तालीन पुलिस अधीक्षक पारिस देशमुख की गाड़ी पर हमला कर दिया था। उनकी गाड़ी को आग के हवाले कर दिया था। उनके गनमैन की राइफल छीन ली थी। आईपीएस मोनिका सैन को भी घेर लिया था। उनके गनमैन ने भीड़ पर काबू करने का प्रयास किया तो उपद्रवियों ने उसकी गन छीन ली थी। उपद्रवियों ने रेल की पटरियों को भी नुकसान पहुंचाया। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में गोलियां चलाई। इस दौरान कई पुलिसकर्मी और आमजन घायल हुए। वहीं गोली लगने से रोहतक निवासी लालचंद की मौत हो गई थी।
ऐसे गैंग्सटर बना था आनंदपाल
गैग्सटर राजू ठेहट की 2005 में ठेके पर बैठने वाले एक सेल्समैन विजयपाल से कहासुनी हो गई। राजू ने अपने साथियों के साथ मिलकर विजयपाल की हत्या कर दी। विजयपाल रिश्ते में बलबीर का ***** लगता था। उसकी हत्या के बाद बलबीर और राजू की दोस्ती, दुश्मनी में बदल गई। बलबीर ने राजू का साथ छोडकऱ अपना अलग गैंग बना लिया। इसी गैंग में 2006 में आनंदपाल सिंह शामिल हुआ और उसके बाद इस गैंग का दबदबा बढ़ता चला गया। दोनो गैंग्स में दुश्मनी चरम पर रहती थी।
ऐसे गैंग्सटर बना था आनंदपाल
गैग्सटर राजू ठेहट की 2005 में ठेके पर बैठने वाले एक सेल्समैन विजयपाल से कहासुनी हो गई। राजू ने अपने साथियों के साथ मिलकर विजयपाल की हत्या कर दी। विजयपाल रिश्ते में बलबीर का ***** लगता था। उसकी हत्या के बाद बलबीर और राजू की दोस्ती, दुश्मनी में बदल गई। बलबीर ने राजू का साथ छोडकऱ अपना अलग गैंग बना लिया। इसी गैंग में 2006 में आनंदपाल सिंह शामिल हुआ और उसके बाद इस गैंग का दबदबा बढ़ता चला गया। दोनो गैंग्स में दुश्मनी चरम पर रहती थी।