
एटीएम मशीन से जाली मुद्रा जमा कराने का प्रयास, मशीन ने रिजेक्ट बॉक्स में डाली 8700 की जाली मुद्रा
अजमेर. एटीएम से राशि नहीं निकलने के बावजूद खाते में से राशि कटने के एक मामले में राज्य उपभोक्ता आयोग जयपुर (State Consumer Commission Jaipur) ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को सेवा में कमी का दोषी ठहराया है और परिवादी को खाते से निकली 20 हजार रुपए, 50 हजार रुपए क्षतिपूर्ति और 5 हजार रुपए वाद व्यय ब्याज सहित अदा करने के आदेश दिए हैं।
धोलाभाटा निवासी संतोष कुमार तिवाड़ी ने एडवोकेट सूर्य प्रकाश गांधी के जरिए जिला उपभोक्ता मंच (District Consumer Forum) में परिवाद पेश किया। जिसमें बताया कि 2 अप्रेल 2013 को एटीएम मशीन पर 20 हजार रुपए निकालने गया। मशीन से राशि नही निकली और जो स्लिप निकली उसमे उसके खाते से 20 हजार रुपए डेबिट हो गए। प्रार्थी बैंक गया और राशि नहीं निकलने की शिकायत की तो बैंक मैनेजर ने 48 घंटे इंतजार करने को कहा। इंतजार के बाद बैंक ने यह कह कर राशि लौटाने से इंकार कर दिया कि जांच में ट्रांजेक्शन सफल पाया गया। गांधी का तर्क था कि एटीएम मशीन (ATM machine) पर उस समय गार्ड नहीं था। बैंक ने कैश टैली रिपोर्ट पेश नही की और सीसीटीवी फ़ुटेज पेश नही की। मंच ने प्रार्थी के इन तर्कों को दरकिनार कर प्रार्थी का परिवाद खारिज कर दिया।
प्रार्थी ने राज्य आयोग में अपील की तो राज्य आयोग ने 31अगस्त 2016 को प्रकरण जिला मंच अजमेर को रिमांड कर दिया और निर्देश दिया कि वह गार्ड एसीसीटीवी फुटेज (Cctv footage) और कैश टेली रिपोर्ट का अवलोकन कर उचित निष्कर्ष निकाले। आदेश के बाद मंच में बैंक ने सीसीटीवी फुटेज पेश की वो करेप्ट थी तथा उसमें कैश कलेक्ट करते हुए की कोई फ़ोटो नही थी। इसके अलावा गार्ड और केश टेली रिपोर्ट (Guard and Hair Tele Report) पर भी मंच ने विचार किए बिना पुन: परिवाद खारिज कर दिया।
प्रार्थी ने दूसरी बार राज्य आयोग में अपील की और आयोग में तर्क दिया कि मंच ने राज्य आयोग के निर्देश के बावजूद सीसीटीवी, गार्ड और कैश टेली बिंदु पर चर्चा नहीं कर परिवाद ख़ारिज कर दिया।
राज्य आयोग ने अपील स्वीकार कर मंच का निर्णय निरस्त कर दिया और प्रकरण पुन: जिला मंच को रिमांड कर दिया। आयोग ने 24 अप्रेल 1820 को अपील में पारित अपने निर्णय में लिखा कि यह दुखद स्थिति है कि गार्ड और सीसीटीवी के संबंध में राज्य आयोग के निर्देशों के बावजूद जिला मंच द्वारा विवेचन नहीं किया गया।
राज्य आयोग के निर्देश के बाद मंच ने पुन: प्रकरण की सुनवाई की और बैंक से गार्ड (Bank guard), सीसीटीवी फुटेज और कैश टेली की रिपोर्ट मांगी, जिस पर बैंक ने आधी अधूरी जानकारी दी और परिवाद पुन:तीसरी बार ख़ारिज कर दिया।
परिवादी ने फिर राज्य आयोग (State commission) में जिला मंच के निर्णय के विरुद्ध अपील कर दी। राज्य आयोग ने अपने निर्णय में बैंक के विरुद्ध गंभीर टिप्पणी की। आयोग ने लिखा कि बैंक ने जानबूझकर मंच के समक्ष सही तथ्यों और रिकॉर्ड को बार बार निर्देशो के बावजूद पेश नही किया। बैंक का दायित्व था कि वह प्रकरण की जांच कर उपभोक्ता को संतुष्ट करता, लेकिन बैंक ने ऐसा नहीं किया। आयोग ने लिखा कि प्रार्थी वर्ष 2013 से कानूनी विवाद में उलझा हुआ है और बैंक की हठधर्मिता के कारण प्रार्थी को बार बार अपीलों में आना पड़ा जो बैंक की लापरवाही और सेवा दोष है इसलिए प्रार्थी को विवादित राशि के अलावा 50 हजार रुपए बतौर क्षतिपूर्ति दिलाना उचित प्रतीत होता है।
Published on:
12 Sept 2019 12:46 pm
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