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यूं बर्बाद करते हैं स्टूडेंट्स का भविष्य, ऑफिसर्स देखते रहे बैठे-बैठे तमाशा

locationअजमेरPublished: Oct 12, 2018 04:47:17 am

Submitted by:

raktim tiwari

www.patrika.com/rajasthan-news

loss to university players

loss to university players

अजमेर.

अन्तर विश्वविद्यालय बैडमिंटन (छात्रा) प्रतियोगिता में महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय की चयनित टीम नहीं भेजने पर खिलाड़ी और छात्र भडक़ गए। उन्होंने स्पोट्र्स बोर्ड के सचिव सहित कुलसचिव कार्यालय में प्रदर्शन किया। छात्रों ने अधिकारियों का घेराव कर लिया। दोनों पक्षों के बीच तर्क-वितर्क चले।
आकोला में होने वाली अन्तर विश्वविद्यालय बैडमिंटन प्रतियोगिता में महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय की टीम भी जानी थी। लेकिन विश्वविद्यालय ने अप्रेल में भारतीय विश्वविद्यालय संघ में समय रहते प्रतियोगिता के लिए वांछित पचास हजार रुपए शुल्क नहीं जमा कराया। प्रशासनिक विलम्ब के चलते विश्वविद्यालय पिछले दिनों शुल्क जमा करा पाया। इधर टीम आकोला जाने के लिए विश्वविद्यालय पहुंची।
उधर पड़ गया प्रतियोगिता ड्रॉ
जब खिलाड़ी स्पोट्र्स बोर्ड पहुंचे तो उन्हें देरी होने और प्रतियोगिता का ड्रॉ डालने की जानकारी दी गई। यह सुनकर छात्राएं बिफर गई। सूचना मिलने पर छात्रसंघ अध्यक्ष लोकेश गोदारा और अन्य छात्र मौके पर पहुंचे। उन्होंने खेल बोर्ड सचिव डॉ. डी. एस. चौहान का घेराव किया। चौहान ने उन्हें उच्चाधिकारियों द्वारा खेल शुल्क भेजने में विलम्ब और अन्य जानकारी दी।
——–पहुंचे कुलसचिव के पास

छात्रसंघ अध्यक्ष गोदारा और खिलाड़ी कुलसचिव अनिता चौधरी के पास पहुंचे। उन्होंने चौधरी को वस्तुस्थिति से अवगत कराया। इस पर कुलसचिव ने केंद्रीय खेल एवं युवा मामलात राज्यमंत्री राज्यवद्र्धन सिंह के कार्यालय में बात की। सिंह के कार्यालय से आकोला यूनिवर्सिटी के खेल निदेशक गुरदीप सिंह से संपर्क किया गया। सिंह ने विश्वविद्यालय द्वारा पचास हजार रुपए समय पर जमा नहीं कराने और ड्रॉ निकालने की जानकारी दी।
बैठे रहे पत्र के इंतजार में
विश्वविद्यालय का अकादमिक विभाग, स्पोट्र्स बोर्ड एक-दूसरे के भरोसे बैठा रहा। जहां अकादमिक विभाग भारतीय विश्वविद्यालय संघ के पत्र मिले बगैर पचास हजार रुपए शुल्क जमा नहीं कराने पर अड़ा रहा। वहीं स्पोट्र्स बोर्ड ने कुलसचिव कार्यालय को शुल्क जमा नहीं होने की जानकारी देकर इतिश्री कर ली। न कुलपति न कुलसचिव न ही अन्य किसी अधिकारी ने इसे गम्भीरता से लिया। शुल्क नही मिलने पर भारतीय विश्वविद्यालय संघ ने किसी भी प्रतियोगिता में मदस विश्वविद्यालय की टीम को शामिल करने से इन्कार कर दिया।
——–चल रहे पुराने ढर्रे पर

विश्वविद्यालय के कार्मिक और अधिकारी कामकाज के पुराने ढर्रे पर कायम हैं। हाइटेक दौर में भी वे आदेश/पत्रों पर भरोसा किए बैठे हैं। स्टाफ को वेबसाइट पर जारी आदेश/ निर्देश, कार्यक्रम को देखने की फुर्सत नहीं है। यही वजह है, कि विश्वविद्यालय छह महीने तक निर्धारित शुल्क जमा नहीं करा पाया।
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