अजमेर. आखरी मुगल शासक बहादुर शाह जफर के म्यांमार के रंगून स्थित मजार पर अजमेर (ajmer) में तैयार की गई विशेष चादर (chadar) पेश की जाएगी। यह चादर रंगून में 23 नवम्बर को होने वाले 157वें उर्स (urs) के मौके पर चढ़ाई जाएगी। ख्वाजा साहब की दरगाह (ajmer dargah) में प्रबंध संभालने वाली दरगाह कमेटी ने इस चादर को तैयार कराया है। इस पर राजस्थानी कला बंधेज का कार्य किया गया है।
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चादर को शुक्रवार को जिला कलक्टर विश्व मोहन शर्मा, अतिरिक्त संभागीय आयुक्त सत्तार खान एवं अतिरिक्त जिला कलक्टर (शहर) सुरेश सिंधी ने सिविल लाइंस स्थित ख्वाजा मॉडल स्कूल में प्रदर्शित किया। इस मौके पर जिला कलक्टर शर्मा ने कहा कि यह न सिर्फ अजमेर बल्कि प्रदेश के लिए सौभाग्य की बात है कि यहां चादर तैयार करने का मौका मिला है। अतिरिक्त जिला कलक्टर सिंधी ने चादर में राजस्थानी कला को शामिल करने के लिए दरगाह कमेटी को साधुवाद दिया और कहा कि इससे राजस्थानी महक रंगून में भी महकेगी। दरगाह नाजि़म शकील अहमद ने इसे अजमेर से रंगून के रिश्तों का एक नया सूत्र बताया। सहायक नाजिम डॉ. आदिल, प्राचार्य राजीव अरोड़ा आदि मौजूद रहे।
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यह है विशेषता
चादर का कुल वजन 2 किला 600 ग्राम है। नारंगी और नीले रंग के बनारसी सिल्क के कपड़े पर राजस्थानी बंधेज का कार्य किया गया है। चादर 6 फीट चौड़ी, 8 फीट लम्बी और 18 इंच ऊंची है। चादर के बीच के हिस्से में उभार के लिए जहां सतह पर फोम का प्रयोग किया गया है, वहीं बीच-बीच में सुन्दर मोतियों से सजाया गया है। कौनों व बीच में गोटे का कार्य किया गया है। सुन्दरता के लिए बीच-बीच में सफेद फूलों से भी सजाया गया है। चादर को लौंगिया निवासी मोहम्मद लियाकत अली ने तैयार किया है।
पिछले साल राष्ट्रपति ने पेश की थी चादर
पिछले साल भी रंगून के लिए चादर अजमेर में ही तैयार की गई थी, तब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद खुद रंगून गए थे। उन्होंने यहां की चादर मुगल शासक बहादुर शाह जफर के मजार पर पेश की। हाल ही भारतीय दूतावास का रंगून दौरा हुआ, तब पिछले साल भेजी गई चादर को याद किया गया और वहां की उर्स कमेटी ने इस बार भी अजमेर से ही चादर मंगवाए जाने की इच्छा व्यक्त की। भारतीय दूतावास की ओर से यह चादर रंगून में पेश की जाएगी।