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Big Challenge: भर्ती पर असर, कैसे मिलेंगे इंस्टीट्यूट्स को नए शिक्षक

राजकीय महाविद्यालयों को छोड़कर अन्य कॉलेज में 80 से 100 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक कार्यरत है। दो सत्रों में नए खुले कॉलेज में तो प्राचार्य तक नहीं हैं।

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recruitment in higher education

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रक्तिम तिवारी/अजमेर.

कोरोना संक्रमण के दौरान राज्य के विश्वविद्यालयों और सरकारी कॉलेज में शिक्षकों की भर्तियों पर असर दिख रहा है। पिछले सत्र से ऑनलाइन और वर्चुअल कक्षाओं से कामकाज चलाया जा रहा है। विषयवार नए शिक्षकों की भर्तियां नहीं हो पाई हैं।

राज्य में संभाग, जिला, उपखंड स्तर पर 300 से ज्यादा कॉलेज संचालित हैं। मौजूदा वक्त इनमें करीब 4 हजार रीडर और लेक्चरर कार्यरत हैं। इसी तरह 28 विश्वविद्यालयों में करीब 3800 शिक्षक कार्यरत हैं। इन विश्वविद्यालयों में 2000-01 तक विभागवार शिक्षकों की संख्या ठीक थी। अब शिक्षकों की संख्या लगातार कम हो रही है।

राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षक
कार्यरत प्रोफेसर- 3800 रिक्त पद-1440
कार्यरत रीडर- 6850, रिक्त पद-4000
कार्यरत लेक्चरर-8766 रिक्त पद-7145

कॉलेज में शिक्षक (रीडर-लेक्चरर)
पद-5000, रिक्त-2500

विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात में पीछे
संकाय-विभागवार विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात में राज्य के विश्वविद्यालय बहुत पीछे हैं। यहां 60 विद्यार्थियों पर 1 शिक्षक कार्यरत है। वहीं केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रति 25 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक है। सरकारी कॉलेज के भी हाल बुरे हैं। अजमेर, कोटा, बीकानेर, सीकर जैसे बड़े राजकीय महाविद्यालयों को छोड़कर अन्य कॉलेज में 80 से 100 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक कार्यरत है। दो सत्रों में नए खुले कॉलेज में तो प्राचार्य तक नहीं हैं।

ऑनलाइन टीचिंग से कामकाज
विश्वविद्यालयों-कॉलेज में ऑनलाइन शिक्षण और वर्चुअल क्लास चल रही हैं। यूजीसी और राज्य सरकार ने शिक्षकों को ई-कंटेंट, ई-लर्निंग वीडियो बनाकर अपलोड करने को कहा है। इससे शिक्षकों की भर्तियों में देरी हो रही है। विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 12 हजार पद रिक्त पद हैं। कॉलेज में राजस्थान लोक सेवा आयोग के जरिए 918 शिक्षकों की भर्ती होनी है।

आर्थिक स्थिति भी डांवाडोल
कोरोना संक्रमण और कफ्र्यू से केंद्र/राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति गड़बड़ाई हुई है। नई भर्तियां की मंजूरी आसान नहीं है। सत्र 2020-21 में यूजीसी ने विश्वविद्यालयों-कॉलेज के बजट में कटौती की थी। सत्र 2021-22 में भी नए प्रोजेक्ट स्थगित किए जा सकते हैं। सरकारों की सबसे बड़ी परेशानी नई भर्तियों पर दिए जाने वाले वेतन-भत्ते हैं। ऐसे में भर्तियों की रफ्तार धीमी पड़ गई है।

देश के सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेज में शिक्षकों के पद खाली हैं। वर्चुअल क्लास और ऑनलाइन शिक्षण पद्धति वैकल्पिक व्यवस्था है। क्लासरूम टीचिंग हमेशा सर्वोच्च रही है। भर्तियों में जितना विलंब होगा संस्थानों की परेशानियां उतनी ही बढ़ती जाएंगी।
प्रो. पी. सी. त्रिवेदी, कुलपति जेएनवी जोधपुर