
city garden in ajmer
अजमेर.
जयपुर रोड-भूणबाय और इससे सटे इलाकों में खूबसूरत नगर वन उद्यान विकसित किया जा सकता है। यहां बने वृक्ष कुंज में इसकी अपार संभावनाएं हैं। सिर्फ सरकार और जिला प्रशासन को योजना स्वीकृत कामकाज शुरू करने की जरूरत है। ऐसा होने पर शहरवासियों को प्रकृति की गोद में नायाब वन उद्यान मिल सकता है।
वन विभाग ने जयपुर-रोड राजस्थान लोक सेवा आयोग के समक्ष पहाड़ी इलाके में प्राकृतिक वृक्ष कुंज बनाया है। यह करीब 1 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला है। यहां कंटीले तारों की फेसिंग कराकर पौधे लगाए गए हैं। लेकिन कम बरसात, सार-संभाल के अभाव में वृक्ष कुंज की कोई उपयोगिता साबित नहीं हो रही है। कई पौधे तो पानी के अभाव में सूख चुके हैं। कुछ पौधों ने जड़ें पकड़ी हैं। यहां खरतपतार या खाली जमीन ज्यादा नजर आती है।
क्षेत्र में नहीं है कोई उद्यान
शहर में शास्त्री नगर-लोहागल रोड पर एकमात्र नगर वन उद्यान है। दूसरा उद्यान गुलाबबाड़ी-मदार क्षेत्र में बनना है। जयुर रोड-भूणाबाय-घूघरा क्षेत्र में कोई सार्वजनिक पार्क अथवा नगर वन उद्यान नहीं है। किसी बड़े इलाके में घने पेड़ नहीं दिखते हैं।
जैव विविधता से भरपूर
वृक्षकुंज अरावली की पहाड़ी से सटा है। इस क्षेत्र में काले और लाल लंगूर, जरख, सेवली, खरगोश, उल्लू और अन्य जीव-जंतु के अलावा बड़े पेड़ों पर मोर, गौरेया, तोता, मैना, बटेर, कबूतर, कोयल, कुक्कू और अन्य पक्षी बहुतायत में हैं।
लगा सकते हैं यह पौधे
करंज, शीशम, अमलताश, नीम, बड़, सेमल, कचनार, गुलमोहर, अशोक, शीशम, गुलर और पुष्पीय पौधे में गुलाब, चांदनी, चमेली, गुड़हल, नाग चम्पा, कनेर, बोगनवेलिया, रात रानी, क्रोटन, रेलिया, फलदार पौधों में अमरूद, जामुन, सीताफल, अनार, इमली, गौंदा, फालसा और अन्य
बन सकता है नगर वन उद्यान: एफएक्यू
-वृक्षकुंज में घूमने के लिए बनाया जाए पाथ-वे
-पहाड़ों से बहकर आने वाले पानी के संग्रहण के लिए एनिकट
-बच्चों के लिए लगाएं झूले, चकरी-फिसलपट्टी
-अरावली और प्रकृति को निहारने के लिए वॉच टावर
-समतल क्षेत्र में हरी दूब और फुलवारी
-बायो टॉयलेट, चिल्ड्रन्स पार्क
-योग वाटिका और साइकिल ट्रेक
मौजूदा हालात...फैक्ट फाइल
4 साल पहले बनाया था वृक्षकुंज
1 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में फैलाव
50 बड़े पौधे भी नहीं हैं विकसित
0 फुलवारी भी नहीं है परिसर में
0 जलसंग्रहण के इंतजाम
वरना अजमेर होता हरा-भरा
वन विभाग ने जापान परियोजना, नाबार्ड सहित कई सरकारी योजनाओं के तहत विभिन्न इलाकों में पिछले 35 साल में पौधरोपण कराया। इस दौरान करीब 50 लाख से ज्यादा पौधे लगाए गए। कम बरसात और पानी की कमी से 30 लाख से ज्यादा पौधे नष्ट हो गए। बचे हुए पौधे किसी तरह चल पा रहे हैं।
Published on:
05 Jan 2022 08:00 am
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