
अजमेर
स्वतंत्रता दिवस (independnce day) पर तिरंगा (tiranga)फहराने को लेकर महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (mdsu ajmer) फिर पसोपेश में है। हाईकोर्ट (rajasthan highcourt )से कुलपति (vice chancellor)के कामकाज पर रोक कायम है। फैसला 15 अगस्त से पहले कुलपति के पक्ष में हुआ तो वे ध्वज फहराएंगे। ऐसा नहीं होने पर कुलसचिव (registrar) को यह जिम्मेदारी लेनी होगी।
1 अगस्त 1987 को स्थापित महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में शुरुआत से कुलपति ही ध्वजारोहण (flag hosting)करते रहे हैं। 19 जुलाई 2017 से से 19 अप्रेल 2018 तक महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह के पास अतिरिक्त प्रभार रहा। ऐसे में उन्होंने बीकानेर में ही तिरंगा (national flag)फहराया। उनकी अनुपस्थिति में कुलसचिव ने विश्वविद्यालय में यह परम्परा निभाई। बीते साल 15 अगस्त (15th august) को गोविंद गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय बांसवाड़ा के कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी (kailash sodani) ने ध्वजारोहण किया था।
कुलसचिव ने फहराया था तिरंगा
बीते साल 11 अक्टूबर से कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह (r.p. singh)के कामकाज पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। इसके चलते जनवरी में पेचीदा स्थिति बन गई। ऐसी स्थिति में तत्कालीन कुलसचिव अनिता चौधरी ने तिरंगा फहराया था। उधर कुलपति के मामले में 2 अगस्त को सुनवाई (case hearing) केबाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा है। सबकी नजरें हाईकोर्ट पर टिकी हैं। 15 अगस्त से पहले फैसला कुलपति (vice chancellor) के पक्ष में हुआ तो उन्हें तिरंगा फहराने का अवसर मिलेगा। ऐसा नहीं हुआ तो कार्यवाहक कुलसचवि भागीरथ सोनी या अन्य किसी अफसर (officer), शिक्षक (teacher)को जिम्मेदारी मिलेगी।
प्रशासन करेगा ये कार्रवाई
शहर में पोस्टर-बैनर (poster and banner)लगाने पर सम्पति विरूपण अधिनियम के तहत नियमानुसार मुकदमे दर्ज किए जाएंगे। प्रशासन इनकी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी कराएगा। नगर निगम के कर्मचारी शहर का दौरा करेंगे। यह तत्काल मामले दर्ज कराकर जिला प्रशासन और पुलिस को रिपोर्ट देंगे। पोस्टर, बैनर की प्रिंटिंग करने वाली प्रेस की भी जांच होगी। इसका उल्लंघन करने पर प्रिंटिंग प्रेस के खिलाफ भी मामले दर्ज होंगे।
Published on:
05 Aug 2019 07:44 am
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