अजमेर. राजस्थान पत्रिका के बिटिया एट वर्क कार्यक्रम के तहत वैशाली नगर के शहीद भगत सिंह उद्यान में आयोजित कार्यक्रम में अतिथियों का कहना रहा कि बेटियों को अपना कॅरियर बनाने और उनके सपनों को पूरा करने के लिए अभिभावकों को खुला दिमाग रखकर उन्हें अवसर मुहैया कराए जाने चाहिए। बेटियों के सुरक्षात्मक माहौल के लिए बेटों को भी संस्कार देना बहुत जरूरी है। कार्यक्रम में बालिकाओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां भी दी।
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इन्होंने किए विचार व्यक्त
कार्यक्रम में समाजसेवी आभा गांधी, भगत घनश्यामदास, डिम्पल लखवानी, जोयशी शर्मा, मुकेश कर्णावत, मंजू तुनवाल, हर्षिता माथुर, नेहा माथुर, आकांक्षा जैन, मोंटू जैन, नीलम माथुर, मीनाक्षी पोखरना, दीपिका लालवानी, डॉ. के. के. शर्मा, राजेन्द्र गांधी, मिलापचंद रांका, गजेन्द्र पंचोली, ओमप्रकाश गोयल, नीरज राठी, दीपक कालानी, किशन लखवानी, सुमित तंवर, निकी तुनवाल, सागर मीणा आदि ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में महालक्ष्मी, सलोनी माथुर, डिम्पल लखवानी ने शानदार नृत्य प्रस्तुत किया। जोयशी शर्मा ने फौजी के वेश में कविता सुनाई।
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पांच दिन की बच्ची को गोद, बहू को पढ़ाया
मैंने पांच दिन की बेटी महालक्ष्मी को गोद लिया था। वह १५ साल की हो गई है और आठवीं कक्षा में पढ़ रही है। पढ़ाई के साथ डांस में जिला स्तर पर भी कई इनाम जीत चुकी है। मेरे दो बेटे हैं। मैंने अपनी बहू को भी बारहवीं के बाद पढ़ाया और वर्तमान में वह डाइटिशियन है।
सरला कुमावत, अध्यापिका
ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूक करने की मुहिम छेड़ी जाए
बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ जैसी मुहिम शहरी क्षेत्रों में तो काफी सफल हो चुकी है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों को जागरूक करने की मुहिम छेड़ी जानी चाहिए।
गायत्री रेडिय़ा, सहकारिता निरीक्षक, सहकार भवन
बेटियां बेटों से आगे
बेटियों की शिक्षा के प्रति अभिभावक भी जागरूक हुए हैं। बोर्ड परीक्षा सहित सभी परीक्षाओं में लड़कियां हर बार लडक़ों से अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। लड़कियों को अवसर मिले तो वह कीर्तिमान बना सकती हैं।
डॉ. अनंत भटनागर, शिक्षाविद्
बेटियों को ज्यादा से ज्यादा पढ़ाएं
बेटियों को ज्यादा से ज्यादा पढ़ाना चाहिए। गांवों में जागरुकता का अभाव है। लड़कियों की उपस्थिति स्कूलों में भी कम रहती है। शिक्षा का स्तर बढऩा चाहिए।
अंजना बोगावत, पूर्व निदेशक, आयोजना विभाग, राजस्थान