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मुकदमों की कॉज लिस्ट होगी डिजिटल,तीन फार्मूले सुझाए

सालाना २5 लाख रुपए होता है कॉज लिस्ट पर व्ययसैंकड़ो कागज की रिम होती है यूज,स्याही व छपाई पर भी होता है खर्च राजस्व मंडल

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Court News

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अजमेर.राजस्व मंडल जल्द ही पूरी तरह से हाईटेक होगा। मुकदमों की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट पैर्टन लागू किया जा रहा है,वहीं अब मुकदमों की सुनवाई से पूर्व वकीलों को उपलब्ध करवाई जाने वाले Cause list कॉज लिस्ट cases (वाद सूची) को भी डिजिटलdigita किए जाने पर विचार चल रहा है। राजस्व मंडल प्रशासन व राजस्व बार के साथ बैठक में तीन फार्मूले three formulas सुझाए suggested गए हैं। हालांकि अभी तक तीनों में से किसी पर भी वकीलों ने अपनी सहमति नहीं दी है। राजस्व मंडल वकीलों को कॉज लिस्ट उपलब्ध करवाने पर सालाना 25 लाख रुपए खर्च करता है। प्रतिवर्ष सैकड़ों ए-थ्री कागज की रिम (6 लाख पेज) व स्याही खर्च होती है। कॉज लिस्ट प्रिंट करने व वितरित करने के लिए दो कर्मचारियों की तनख्वाह व रेजीयोग्राफी मशीन के ठेके पर भी राशि खर्च होती है। मशीन के मेंटीनेस तथा बिजली पर भी खर्च होता है। राजस्व मंडल प्रतिदिन117 वकीलों को 110-120 पेज की कॉज लिस्ट उपलब्ध करवाता है। एक वकील को सालाना कॉज लिस्ट उपलब्ध करवाने पर राजस्व मंडल15००० रुपए खर्च करता है जबकि वकील से सालाना 500 रुपए रुपए ही लिए जाते हैं। डिजिटल फार्मेट कॉज लिस्ट तुरंत उपलब्ध हो जाएगी। कम्प्यूटर,लैपटॉप व मोबाइल के जरिए इसे कभी भी देखा जा सकेगा।

यह दिए सुझाव

1-कॉज लिस्ट पूरी तरह से डिजिटल कर बोर्ड की वेबसाइट पर डालने तथा एक कॉपी मंडल के नोटिस बोर्ड पर चस्पा कराना।
2-वकीलों को केवल उन्हीं के मुकदमो से सम्बन्धित दो पन्नों की कॉज लिस्ट उपलब्ध करवाना।

3- वकीलों से कॉज लिस्ट के लिए राशि 500 से बढ़ाकर 2500 रुपए प्रतिवर्ष लिया जाए।
पर्यावरण को होगा फायदा

मंडल अधिकारियों का कहना है कि करीब110-120 पेज की कॉज लिस्ट में एक वकील के काम के करीब दो पेज ही होते हैं, शेष उनसे सम्बन्धित नहीं होता है। बोर्ड मुकदमों को डिजिटल रूप से वेबसाइट पर उपलब्ध करवा रहा है। मुकदमों की सुनवाई के लिए हाईकोर्ट की तरह डिजिटल प्रक्रिया अपनाई जा रही है इसका ट्रायल किया जा रहा है जल्द ही इससे लागू कर दिया जाएगा। इससे वकीलों को आवाज लगाने की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। वकील को कोर्ट रूम,गैलरी तथा मुख्यद्वार पर यह पता चल जाएगा कि उनका केस किस अदालत में सुनवाई के लिए लगने वाला है। यदि कॉल लिस्ट डिजिटल होगी तो सालाना लाखों रुपए की बचत होने के साथ ही यह पर्यावरण के लिए उपयोगी साबित होगा।

इनका कहना है
कॉज लिस्ट डिजिटल करने का विचार है। रजिस्टार को वकीलों से बात करने के लिए कहा है, उन्हें भरोसे में लेकर ही व्यवस्था लागू करेंगे।

मुकेश शर्मा,चेयरमैन,राजस्व मंडल

रजिस्ट्रार ने फॉर्मल बातचीत के लिए हमे बुलाया था। मुंशियों के आईकार्ड जारी करने सहित अन्य बात हुई। कॉज लिस्ट के सम्बन्ध में कोई बात नहीं हुई,मैने मना कर दिया।

सुरेन्द्र शर्मा,बार अध्यक्ष राजस्व मंडल

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