उत्तरप्रदेश के बाराबंकी से आई सबिहा ने दुर्घटना के बाद सुधबुध खो दी। जब उसे होश आया तब तक उसकी बगिया उजड़ चुकी थी। उसने बताया कि चार साल पहले उसके शौहर शमशुद्दीन की अकाल मौत हो गई। इसके बाद नाते-रिश्तेदारों ने मुंह मोड़ लिया। कुछ दिन सब ठीक चला, लेकिन विमंदित बेटे अजमल व अपना पेट भरने के लिए जिंदगी फुटपाथ पर झोपड़े में आ गई। बाराबंकी में देवा शरीफ की चौखट पर भीख मांगकर बसर कर रही थी, लेकिन सरवाड़ शरीफ के उर्स के लिए सुना तो 14 फरवरी को अजमेर आ गई, हालांकि सरवाड़ शरीफ पहुंचने से पहले बेटा अजमल उसे अकेला छोड़ गया।
उसने बताया कि गुरुवार को भीख में कुछ मिला तो बेटे के लिए होटल से रोटी ले ली। मदार गेट फ्रूट विक्रेताओं के पास फुटपाथ पर बैठकर अजमल को रोटी खिला रही थी। वह हमेशा घूम-घूमकर खाना खाता है। आज भी वह रोटी खाते हुए इधर-उधर घूम रहा था। इसी दौरान तेजगति से आई कार की चपेट में आ गया।
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मां के नहीं थम रहे आंसू
बेटे की मौत ने सबिहा बुरी तरह टूट गई। मोर्चरी के बाहर काफी देर तक बेसुध बैठने के बाद उसकी आंखें छलक उठीं। शौहर की मृत्यु के बाद विमंदित बेटे की आखिरी उम्मीद भी टूट चुकी है। देर शाम दरगाह कमेटी के कारिन्दों की मदद से उसने बेटे को गौरे-गरीबां कब्रिस्तान में सुपुर्दे खाक किया।