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# corona : शहरवासी परेशान न हों, जुटे हैं कर्मवीर पत्रिका से बात करते हुए सिद्धार्थ ने बताया कि वह पिछले साल दिसम्बर में भी चीन के नेनटांग शहर में आया था। तब तक कोरोना वहां अपने पैर पसार चुका था। तब भी शहरवासियों को सरकार की ओर से यही बताया जा रहा था कि अमरीका से आने वाले लोग कोरोना वायरस लेकर आए हैं। कुछ दिनों के बाद सिद्धार्थ को कंपनी के जहाज से जापान, इंडोनेशिया व सिंगापुर जाना पड़ा। सिद्धार्थ ने बताया कि फरवरी के अंत में जब वह लौटा तो उसे 15 दिन तक क्वारेंटाइन में रखा गया। तब तक चीन में हालात बिगड़ गए थे। उसके बाद भी सरकार असलियत छिपाने की कोशिश करती रही। सिद्धार्थ का कहना था कि मेडिकल टीम ने उसकी कई बार जांच की। उसने यह भी बताया कि इस दौरान चीन सरकार ने इंटरनेट भी बंद कर दिया था। उल्लेखनीय है कि सिद्धार्थ के भाई प्रखर से पहले पत्रिका की बात हो चुकी है, वह अभी वुहान बंदरगाह पर फंसा हुआ है।