महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय का इसी साल 20 से 22 अप्रेल नैक टीम ने दौरा किया था। टीम ने परिसर में संचालित कोर्स, फेकल्टी कार्यक्रम, सह शैक्षिक गतिविधियों, खेलकूद, परीक्षा, सेमेस्टर अैार अन्य गतिविधियों का आकलन किया था। इसकी बदौलत यूजीसी ने उसे बी डबल प्लस ग्रेड प्रदान की। यही ग्रेड वर्ष 2004 में भी विश्वविद्यालय को मिली थी। इसके विपरीत विश्वविद्यालय के अधीनस्थ और संबद्ध कॉलेज का प्रदर्शन लगातार निखर रहा है।
क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान-जीसीए बेहतर यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों, कॉलेज को नैक की ग्रेडिंग लेना अनिवार्य किया है। इसके चलते सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय ने पिछले साल अक्टूबर में नैक टीम का दौरा कराया। टीम ने 180 साल पुराने कॉलेज के भवन, लाइब्रेरी, स्टाफ, शैक्षिक-सह शैक्षिक गतिविधियों का अवलोकन किया। यूजीसी ने इसे ए ग्रेड प्रदान की।
इसी तरह हाल में 13-14 नवम्बर को नैक टीम ने
एनसीईआरटी के क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान का दौरा किया। यहां संचालित चार वर्षीय बीएससी बीएड, बीए-बीएड और अन्य कोर्स, शैक्षिक कार्यक्रमों के आधार पर यूजीसी ने इसे ए प्लस ग्रेड दी है। यह दोनों संस्थाएं महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं।
सोफिया बना ऑटोनॉमस कॉलेज पूर्व में सोफिया कॉलेज भी महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय से संबद्ध था। यह कॉलेज दो वर्ष पूर्व स्वायत्तशासी (ऑटोनॉमस) बन गया। सोफिया कॉलेज का भी नैक टीम ने दौरा किया था। यूजीसी ने इसे ए ग्रेड प्रदान की है। मालूम हो कि सोफिया कॉलेज में पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की पत्नी सीता देवी सहित कई छात्राएं अध्ययन कर चुकी हैं।
ग्रेडिंग में विवि के पिछडऩे के कारण -सिर्फ 18 शिक्षक कार्यरत हैं पूरे विश्वविद्यालय में
-महज 1200 विद्यार्थी पढ़ते हैं कला, वाणिज्य, विज्ञान, मैनेजमेट, लॉ और अन्य कोर्स में -अटकी हुई है 20 नए शिक्षकों की भर्ती (कुल 30 पदों पर होनी है भर्ती)
-परिसर में आउटडोर-इंडोर खेलकूद सुविधाएं हैं बदहाल
-अन्य राज्यों के विश्वविद्यालयों की तरह विशिष्ट कोर्स का अभाव
-प्रवेश के लिए विद्यार्थियों में अखिल भारत स्तर पर नहीं होती प्रतिस्पर्धा -एनसीसी और अन्य गतिविधियों की विश्वविद्यालय में कमी
-गुणवत्तापरक शोध की कमी, शोध के नहीं होते पेटेंट
-कैंपस प्लेसमेंट और कॅरियर काउंसलिंग का अभाव
-परिसर में शोधार्थियों के लिए हाइटेक रिसर्च लैब की कमी -जॉब ओरिएंटेड और कौशल विकास पाठ्यक्रमों का अभाव