16 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

राजस्थान के तीन इंजीनियरिंग कॉलेज में नहीं बन पाई डिजिटल लाइब्रेरी

Digital Library: यह योजना परवान चढ़ती तो एआईसीटीई, यूजीसी की लाइब्रेरी से भी कॉलेज जुड़ जाते।

2 min read
Google source verification

अजमेर

image

Alfiya Khan

Mar 15, 2025

digita_

file photo

अजमेर। राज्य के तीन इंजीनियरिंग कॉलेज में डिजिटल लाइब्रेरी बनाने की योजना परवान नहीं चढ़ पाई है। तकनीकी दिक्कतों के चलते दो साल में कामकाज नहीं हो पाया है। डिजिटल लाइब्रेरी की अनदेखी के चलते तीनों कॉलेज इस योजना से दूर हैं। महिला इंजीनियरिंग कॉलेज माखुपुरा, बांसवाड़ा और झालावाड़ इंजीनियरिंग कॉलेज में लाइब्रेरी बनी हुई हैं।

इनमें मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर इंजीनियरिंग और अन्य ब्रांच की किताबें, जर्नल, नियमित पत्र-पत्रिकाएं और अन्य विषयों और लेखकों की पुस्तकें रखी हुई हैं। मौजूदा वक्त लाइब्रेरी का स्वरूप वैसा नहीं है, जिस तरह राज्य सचिवालय, कॉलेज, विश्वविद्यालय और अन्य शैक्षिक-सरकारी महकमों में होता है। अगर यह योजना परवान चढ़ती तो एआईसीटीई, यूजीसी की लाइब्रेरी से भी कॉलेज जुड़ जाते।

यह था योजना का मकसद

राज्य के सभी कॉलेज की लाइब्रेरी में विविध विषयों की किताबें मंगवाई जानी थी। इनमें राजस्थान और अन्य प्रांतों के साहित्य, कला-संस्कृति, इतिहास, नाट्य विधा, परम्पराओं, सम-सामायिकी, वैश्विक गतिविधियों से जुड़ी किताबें, पुराने और नए नामचीन लेखकों की पुस्तकें शामिल की गई थीं।

यों बनाई थी योजना

वर्ष 2022 में इंजीनियरिंग कॉलेज की डिजिटल लाइब्रेरी तैयार करने की योजना बनाई गई। पूर्व तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग के निर्देश पर पायलट प्रोजेक्ट के तहत राज्य के महिला इंजीनियरिंग कॉलेज माखुपुरा, बांसवाड़ा और झालावाड़ इंजीनियरिंग कॉलेज का चयन किया गया। इन कॉलेज में पुस्तकें ई-फॉर्मेट में तब्दील की जानी थी। इन्हें डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराया जाना था। कुछ कॉलेज नेसॉफ्टवेयर खरीद लिए पर उनका उपयोग नहीं हो सका।

यह परेशानी

  • नहीं तैयार कर सके उच्च स्तरीय सॉफ्टवेयर
  • तीनों कॉलेज के लिए समान अथवा पृथक एक्सेस सुविधा
  • जर्नल्स को डिजिटल उपलब्ध कराना
  • किताबों के ई-कंटेंट तैयार करना

वरना होते यह फायदे

  • 5 हजार विद्यार्थियों, 200 से ज्यादा शिक्षकों को फायदा
  • विशेषज्ञों और शोधार्थी को मिलते ई-कंटेंट
  • उपलब्ध लिंक से घर बैठे पढ़ाई की सुविधा
  • पुस्तकों के कंटेंट रहते सुरक्षित
  • एआईसीटीई, यूजीसी की लाइब्रेरी से भी लिंक

बांसवाड़ा कॉलेज को नोडल बनाया

प्रस्ताव के तहत बांसवाड़ा कॉलेज को नोडल बनाया गया था। वहीं से इसकी क्रियान्विति होनी थी। संभवत: तकनीकी अड़चनों के चलते योजना अटक गई।
-डॉ. रेखा मेहरा, प्राचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज बड़ल्या

यह भी पढ़ें: डिजिटल लाइब्रेरी करेगी इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स की मदद