scriptश्रमिकों के शरीर में घुल रहा धीमा जहर | Dissolving slow poison in the body of workers | Patrika News

श्रमिकों के शरीर में घुल रहा धीमा जहर

locationअजमेरPublished: Jul 01, 2019 02:17:02 am

Submitted by:

Narendra

पत्थर पिसाई की उड़ती डस्ट से क्षेत्रवासी परेशान
खेत हुए बंजर, फसल की पैदावार हो रही है प्रभावितमापदंडों की अनदेखी कर संचालित हैं कई मिनरल्स फैक्ट्री, कई श्रमिक सिलिकोसिस बीमारी से ग्रसित

Dissolving slow poison in the body of workers

श्रमिकों के शरीर में घुल रहा धीमा जहर

श्रीनगर (अजमेर). पंचायत समिति श्रीनगर की ग्राम पंचायत दिलवाड़ा के बेवंजा औद्योगिकी क्षेत्र की पत्थर पिसाई की फैक्ट्रियां रोजाना डस्ट के रूप में धीमा जहर उगल रही हैं। इसकी चपेट में आकर श्रमिक सिलिकोसिस बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं।
रोजाना हजारों टन पत्थर की पिसाई से उडऩे वाले धूल के बारीक कण पाउडर फैक्ट्रियों से बाहर आस-पास के खेतों को भी लीलते जा रहे है। हालात यह है कि कई पेड़ पौधों व खेत पर तो डस्त की परतें तक जम चुकी है, जिससे पौध वृद्धि थमने के साथ ही फसल की पैदावार भी प्रभावित हो रही है। खेत बंजर होने लगे हैं। वातावरण दूषित होता नजर आ रहा है।
बेवंजा रीको इंडस्ट्रियल एरिया में वैसे तो करीब 40 से अधिक प्लांट्स हैं। नियमों की अनदेखी करने वाले प्लांटों के खिलाफ ग्राम पंचायत दिलवाड़ा ने पहले जिला प्रशासन समेत रीको प्रशासन को पत्र के माध्यम से अवगत कराया जा चुका है।
आरोप है कि फैक्ट्रियों में कार्य करने वाले श्रमिकों के लिए सुरक्षा के कोई उपाय भी नहीं है। प्लांटों में अधिकतर सफेद पत्थर की पिसाई का कार्य ही होता है। वैसे तो यहां दिनभर पत्थरों की पिसाई का कार्य चलता है लेकिन शाम को हवा के रूख से डस्ट समीप की आबादी तक पहुंचकर उनके शरीर को नुकसान पहुंचा रही है।
यह है सिलोकोसिस बीमारी
सिलोकोसिस बीमारी अब जानलेवा बनती जा रही है। इसके लिए राज्य सरकार भी गंभीर है। यह बीमारी सिलिका कणों ओर टूटे पत्थरों के धूल के चलते होती है। पत्थर के जो छोटे-छोटे पार्टिकल्स होते हैं वे शरीर के फेफड़ों के अंदर जाकर धीरे-धीरे जम जाते हैं। इसका कुछ महीनों बाद असर दिखना शुरू होता है। मास्क लगाने के बाद भी धूल के पार्टिकल्स सांस के दौरान फेफड़ों तक पहुंच रहे है। इससे फेफडों के अंदर से सिकुडऩा ओर फैलना बंद हो जाता है। इससे पीडि़त को श्वांस लेने में परेशानी होती है। दिलवाड़ा सरपंच घीसालाल गुर्जर के अनुसार सिलिकोसिस बीमारी से क्षेत्र के कई लोगों की मौत भी हो चुकी है।
यह ग्रामीण हो चुके हैं बीमारी का शिकार
बेवंजा में ग्रामीणों और सरपंच ने बताया कि अभी तक इस बीमारी से प्लांट में कार्य करने वाले बेवंजा ग्राम के दयाल सिंह, बजरंग ओर सौपाल की तो कुछ महीनों पहले ही मौत हो चुकी है। इसके साथ ही अभी हाल ही में भगवान सिंह, तेजसिंह सहित कई लोग इस बीमारी से पीडि़त हैं। इस बारे में सरपंच घीसालाल गुर्जर का कहना है कि यह प्लांटस पूरी तरह वातावरण को दूषित करते हुए सिलिकोसिस को जन्म दे रहे हैं, जिससे कई ग्रामीण इसका शिकार हो रहे है। प्लांट के मालिकों द्वारा सुरक्षा के कोई व्यापक इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं।
नहीं बना हैं कोई डम्पिंग यार्ड

दिलवाड़ा ग्राम के बेवंजा औद्योगिक क्षेत्र में किसी प्रकार से कोई डम्पिंग यार्ड नहीं है। यदि रीको में लगी यह फैक्ट्रियां डम्पिंग यार्ड बना लें तो ग्रामीणों की समस्याओं का काफी हद तक समाधान हो सकता है। फैक्ट्री मालिक पत्थर पिसाई के बाद जो खराब चूरा बचता है उसे फैक्ट्री के बाहर ही डाल देते हैं। जिससे वह हवा के साथ आबादी क्षेत्र में नुकसान पहुंचाती है। वहीं रीको के पास में एक टायर जलाने वाली फैक्ट्री भी लग गई है। इससे उठने वाले हानिकारक धुएं से भी लोगों को नुकसान पहुंच रहा है।
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