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ई-ग्रास चालान में गड़बड़ी: तीन सब रजिस्ट्रार एपीओ, जयपुर के 19 स्टाम्प वेंडर के लाइसेंस निरस्त-एफआईआर दर्ज

-7 लिपिकों को भी हटाया, 44 कार्मिकों को कारण बताओ नोटिस-676 मामलों में 7.96 करोड़ रूपए का हुआ था घोटाला पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग की बड़ी कार्रवाईराजस्थान पत्रिका ने लगातार उठाया मामला

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ajmer

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अजमेर. जमीनों की रजिस्ट्री करवाने के दौरान ई-ग्रास के जरिए फर्जी चालान जमा करवाने के मामले में सोमवार को पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग ने घोटाले के जिम्मेदारों पर बड़ी कार्रवाई की। उप महानिरीक्षक जयपुर-प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय द्वारा जयपुर के 19 स्टाम्प वेंडर के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए हैं। इनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई गई है। इसके अलावा विभाग ने सब रजिस्ट्रार साधना सिंह, सविता शर्मा तथा राजीव बडग़ुर्जर को एपीओ कर रेवेन्यू बोर्ड भेजा गया है। पंजीयन कार्यालयों के 7 लिपिकों को भी एपीओ करते हुए 44 कार्मिकों को नोटिस जारी किए गए हैं।
कमेटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई

पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग महानिरीक्षक महावीर सिंह ने यह कार्रवाई ई-ग्रास के जरिए चालान जमा करवाने में विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत की जांच के लिए विभाग की फैक्ट फाइंडिग कमेटी की रिपोर्ट के बाद की है। एडिशनल आईजी, लेखा, विधि तथा तकनीकी एक्सपर्ट की कमेटी ने गड़बड़ी का तरीका और इसमें शामिल स्टाफ की पड़ताल की ती। कमेटी ने माना कि पहले ही उपयोग में लिए गए जा चुके चालान को दस्तावेज पंजीयन के लिए पुन: उपयोग में लिया गया।
4 जिले-17 दफ्तर-676 मामले

ई-ग्रास के जरिए चालान जमा करवाने में प्रदेश के 4 जिलों के 17 उप पंजीयक कार्यालयों में 676 दस्तावेजों के पंजीयन में 7.94 करोड़ का फर्जीवाड़ा सामने आया था। सर्वाधिक मामले जयपुर में सामने आए। यहां सब रजिस्ट्रार कार्यालय 2, 5,8 व 10 में प्रत्येक में 150-200 मामलों में फर्जी चालान ई-ग्रास के जरिए जमा करवाते हुए जमीनों का पंजीयन करा सरकारी खजाने को चूना लगाया गया। जयपुर के अलावा बांसवाड़ा में 34,भीलवाड़ा 25, तथा भरतपुर/ धौलपुर में करीब 27 मामले सामने आ चुके हैं। इनके जरिए 676 प्रकरणों 7.94 करोड़ रूपए की राजस्व हानि पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग को हुई। 11 मामलों में राशि जमा होने का सत्यापन हो गया। जबकि 218 प्रकरणों में पक्षकारों ने 2.28 करोड़ रूपए जमा करवाए हैं। 447 प्रकरणों में 5.64 करोड़ की वसूली शेष है।
काम में लिए कूटरचित दस्तावेज

पंजीयन विभाग की फैक्ट फाइंडिग कमेटी की रिपोर्ट में सामने आया कि कुछ स्टाम्प वेंडर द्वारा कोषालय से स्टाम्प क्रय करने के लिए उपयोग में लिए गए चालानों को कूटरचित करके दस्तावेजों के पंजीयन में पुन: उपयोग में लिया गया। सम्बन्धित उप पंजीयक, पंजीयन लिपिक एवं स्टाफ ने चालानों का ई-ग्रास साइट से सत्यापन किए बिना ही लापरवाही पूर्वक दस्तावेजों का पंजीयन कर दिया। यदि ऐसे चालानों का सत्यापन व अंक मिलान किया जाता तो जाली चालानों के पुन: उपयोग को रोका जा सकता था।

इन पर हुई कार्रवाई
उप पंजीयक कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारियों की लापरवाही पाए जाने और अपवंचना चिह्नित होने के बावजूद वसूली के प्रयास नहीं करने और चालानों के दुरुपयोग और कूट रचना के लिए दोषियों के विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही करने में विलम्ब के कारण उप पंजीयक जयपुर (प्रथम) साधना शर्मा, उप पंजीयक जयपुर (दशम) राजीव बडग़ुर्जर तथा कार्यवाहक उप पंजीयक जयपुर (द्वितीय) सविता शर्मा को एपीओ किया गया है। पंजीयक लिपिक बाबूलाल मीणा, सुशील कुमार शर्मा, बलबीर सिंह धायल, अनुपम सिंह, अशोक कुमार उप्रेती, दीपक हिंगोनिया और श्याम लाल कुमावत को एपीओ किया गया है।

यूं खुला था मामला
पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग के ही एक लेखाधिकारी जब खुद अपनी रजिस्ट्री करवाने पहुंचे तो चालान का जीआरएन नम्बर उन्हें गलत लगा। जब उन्होंने इसे क्रॉस चेक करवाया तो फर्जीवाड़ा पकड़ में आया। एक ही नम्बर के दो चालान सामने आए। इस सूचना के बाद विभाग के डेटा माइनिंग के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित की गई। विभाग ने 2017 से अपना डाटा खंगालना शुरु किया तो कई जिलों में विभाग के 676 डाटा मिस-मैच पाए गए।

पीडि़त सामने आएं: आईजी
पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग के महानिरीक्षक महावीर प्रसाद ने ऐसे पीडि़त लोगों जिनके दस्तावेजों में कूट रचित चालानों का उपयोग किया गया है से आगे आकर पुलिस को उन व्यक्तियों के नाम व पहचान बताने की अपील की है जिनके माध्यम से उन्होंने चालान बनवाए तथा दस्तावेज पंजीबद्ध करवाए। जिससे अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही की जाकर राशि बरामद की जा सके।

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