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गिरवी रखी थी जमीनरोडवेज बस स्टैंड व व्यापारिक स्कूल के मध्य एक बड़ी भूमि पर ऑफिस व फैक्ट्रीनुमा प्राचीन भवनों का निर्माण हो रखा है। इसको किसी जमाने में डाकखाने व बर्फखाने के नाम से जाना जाता था। बताया जाता है कि इस भूमि को नसीराबाद शोभाराम मोहल्ला निवासी मगना देवी ने नसीराबाद को-ऑपरेटिव सोसायटी के यहां बर्फखाना व डाकखाना की इस लीज भूमि को गिरवी रखा था। ऋण नहीं चुकाने के कारण बैंक इसे नीलाम करने लगा तो छावनी परिषद व रक्षा सम्पदा अधिकारियों ने इस पर आपत्ति की। आपत्ति में बताया कि रक्षा भूमि को न तो कोई गिरवी रख सकता है और न ही कोई संस्था ऋण की अदायगी में नीलाम कर सकता है। इस कानूनी लड़ाई को लगभग आधी सदी से अधिक हो गया और सर्वोच्च न्यायालय का फैसला छावनी परिषद व सैन्य अधिकारियों के पक्ष में जाने के बावजूद न तो छावनी परिषद ने करोड़ों रुपए की इस मिल्कियत को अतिक्रमियों के हाथ से छुड़ाने की कोशिश की और न ही आज तक इस भूमि की सुरक्षा के कोई उपाय किए गए।
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लीज पर मिली भूमि कानूनी लड़ाई के दौरान मगना देवी के वारिस बीरचंद ने नसीराबाद में रहते इस भूमि को सुरक्षित रखा। लेकिन उनके नसीराबाद से इंदौर रुखसत होते ही भू-माफियाओं ने इस भूमि पर कब्जा कर पक्की दुकानें व केबिनें लगाकर इसे ऊंची दरों पर किरायेदारों को सौंपकर किराया वसूली शुरू कर दी है और यही कारण है कि नगरवासियों के मकान जिस भूमि पर बने हैं वह भूमि छावनी परिषद प्रशासन की है जो मकान मालिकों को लीज पर दी हुई है। यह भी पढ़ें